साततालः झीलों और अनछुवी प्रकृति का समग्र


 

Sattal

On the Way to Sattal 

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प्रकृति प्रेमी सैलानियों को खूब आकर्षित करता है यह पर्यटन स्थल
नवीन जोशी,नैनीताल।

झीलों के शहर नैनीताल में मुख्यालय की नैनीताल झील विश्व प्रसिद्ध है, और इस कारण यहां दुनिया भर के सैलानी आते हैं, लिहाजा यहां खासकर सीजन में अत्यधिक भीड़भाड़ और मानवीय हस्तक्षेप सैलानियों को सुकून के पल और प्रकृति के उसके वास्तविक अनछुवे रूप में दर्शन कम ही हो पाते हैं। लेकिन प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवरनगरी की खूबसूरती वास्तव में इसके आसपास स्थित अन्य झीलों के समग्र और ‘लेक डिस्ट्रिक्ट’ के रूप में भी है। नगर के आसपास की यह झीलें खुर्पाताल, सरिताताल, भीमताल और नौकुचियाताल तथा सातताल के रूप में जानी जाती हैं। इन सभी झीलों में से भी यदि प्रकृति के सर्वाधिक करीब और मानवीय गतिविधियों से अनछुई खूबसूरती के दर्शन करने हों तो सात झीलों की समन्वित सातताल झील सभी झीलों में अप्रतिम है। अपनी इसी विशेषता के कारण सातताल झील नैनीताल के बाद सैलानियों की पहली पसंद बनी हुई है।

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झीलों के जनपद में मुख्यालय के बेहद करीब 21 किमी की दूरी पर एक ऐसी झील है जो अभी भी अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही है। यहां मानवीय हस्तक्षेप ना के बराबर है, और झील की विशालता के साथ ही कुदरत ने पेड़-पौधों की जैव विविधता के साथ ही पंछियों की अनेकों प्रजातियों से भी इसे दिल खोलकर नवाजा है। यह वास्तव में झील ही नहीं, झीलों का समग्र है। यहां एक नहीं वरन सात झीलें-राम ताल, लक्ष्मण ताल, सीता ताल, हनुमान ताल, पूर्ण ताल या पन्ना ताल, गरुण ताल और सूखाताल हैं, और इसी कारण इस स्थान का नाम सात ताल है। यहां पहुंचने के लिए रास्ता भवाली-भीमताल रोड के बीच मेहरागांव नाम के स्थान से कटता है। सर्वप्रथम नल दमयंती ताल सड़क से करीब 100 मीटर की दूरी पर पड़ता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस झील का नाम राजा नल एवं उनकी धर्मपत्नी दमयंती के नाम से पड़ा। यहां छोटे से ताल में ढेरों रंगबिरंगी मछलियों को तैरते हुए देखने का मनमोहक नजारा मिलता है। करीब डेड़ किमी आगे जैव विविधता से परिपूर्ण हरे घने वनों के बीच में एक विशालकाय झील के दर्शन होते हैं, इसे गरुण ताल का जाता है। गरुणताल सातताल क्षेत्र की विशाल एवं सुंदरतम झील है। यहां मानवीय गतिविधियों के बिना पूरी तरह प्रकृति में खोते हुए विशाल जल राशि का अनुभव सैलानियों को खासा आकर्षित करता है। यहां से भी पुनः करीब डेड़ किमी आगे समुद्र सतह से 1371 मीटर की ऊंचाई पर 190 मीटर व 315 मीटर के फैलाव में करीब 150 मीटर गहरी आपस में मिली हुई तीन झीलों-राम, लक्ष्मण व सीता ताल को समन्वित रूप से सातताल झील कहा जाता है। झील के पास झील विकास प्राधिकरण द्वारा सुंदर उद्यान का निर्माण किया जा रहा है। तीन अन्य झीलें पूर्णताल (पन्ना ताल), हनुमानताल व सूखाताल भी सातताल का हिस्सा हैं, पर अब यह बरसात में ही भरती हैं।

19NTL-2राम व सीता ताल को जोड.ने के स्थान पर झील के दूसरी ओर पहुंचाने वाला छोटा पुल भी आकर्षित करता है। यहां ठहरने को कुमाऊं मंडल विकास निगम का पर्यटक आवास गृह, कंट्री इन नाम का रिजार्ट व वाईएमसीए के क्लब में लग्जरी टैंट युक्त सुविधा है। झील में पैडल और चप्पू वाली नौकाओं से नौकायन की व्यवस्था है। कुछ युवा कयाकिंग, केनोइंग तथा रीवर क्रासिंग जैसे सासिक जल क्रीड़ाएं भी कराते हैं।

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