आज भी सड़क से दो से 15 किमी पैदल दूर हैं नैनीताल के 130 गांव


-सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित हर तरह की सरकारी सुविधा से दूर आदिम युग का जीवन जीने को मजबूर हैं इन गांवों के हजारों ग्रामीण
नवीन जोशी, नैनीताल। सुदूर मंगल तक कदम बढ़ाकर तथा अमेरिका से दोस्ती गांठ कर चीन, पाकिस्तान सहित अन्य देशों को अपनी बढ़ती शक्ति व ऐश्वर्य से चिढ़ा रहे, तथा आज भी कभी गांवों का देश कहे जाने वाले भारत में सैकड़ों गांव आदिम युग में जीने को अभिशप्त हैं। उत्तराखंड राज्य के सुविधासंपन्न व सुगम की श्रेणी में आने वाले नैनीताल जनपद के आंकड़े गवाह हैं, आज भी यहां 130 गांव ऐसे हैं, जहां तक पहुंचने के लिए कच्ची पथरीली सड़क के बाद भी दो से 15 किमी तक पैदल चलना पड़ता है। बताने की जरूरत नहीं, कि जब इन गांवों में विकास की बुनियाद मानी जाने वाली सड़क ही नहीं होगी तो शिक्षा व स्वास्थ्य तथा अन्य विकास योजनाओं की भी कोई व्यवस्था यहां नहीं होगी। होगी भी तो वहां इन सेवाओं को पहुंचाने के लिए तैनात सरकारी कारिंदे अपनी काहिली से न खुद वहां पहुंचते होंगे, और ना ही सेवाओं को पहुंचने देते होंगे।

जनपद के स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार नैनीताल जनपद के बेतालघाट विकास खंड का हैड़ी गांव सड़क से 15 किमी दूर है। वहीं रामनगर ब्लॉक के बंदोबस्ती गांव की दूरी 13.5 किमी है। इसी तरह धारी ब्लॉक का बीरसिंघ्या गांव 13 किमी, रामनगर का छाम 12 किमी, बेतालघाट का धापला 11 किमी, धारी का अमघोर तथा कोटाबाग के अमरोही व लड़वासी 10-10, रामनगर का पाटकोट, ओखलकांडा का सुई, ककोड़ व बुरांशी नौ-नौ किमी दूर हैं। गांव के तेज पैदल चलने वाले लोगों को अकेले भी इन गांवों से कच्ची पगडंडियों पर सड़क आते चार से छह घंटे तक लग जाते हैं। सड़क पर पहुंचकर भी आवागमन की किसी सरकारी बस सुविधा की व्यवस्था नहीं होती। । सड़क न होने से न केवल विकास गांव तक नहीं आ पाता, वरन गांव की कृषि उपज, फल, साग-सब्जी बाजार या मंडी भेजकर ग्रामीण अपनी आजीविका का प्रबंध नहीं कर सकते। ऐसे में खासकर मरीजों अथवा गर्भवती महिलाओं को शहर के अस्पताल लाना हो, तो पूरा दिन सड़क तक पहुंचने में लग जाता है, और अनेक मरीज और खासकर गर्भवती महिलाएं या तो अस्पताल जाने की हिम्मत ही नहीं कर पाते अथवा रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। जनपद में मौजूदा वित्तीय वर्ष में ओखलकांडा ब्लॉक में दो व बेतालघाट ब्लॉक में एक गर्भवती महिला की इसी कारण घर पर ही प्रसव कराने की वजह से मौत हो चुकी है

डोली-पालकी एंबुलेंस वालों के लिए ‘टका सेर भाजी-टका सेर खाजा”

नैनीताल। प्रदेश सरकार ने दो किमी से अधिक दूरी से मरीजों को सड़क तक लाने के लिए डोली अथवा पालकी से सड़क तक लाने की एंबुलेंस व्यवस्था की पहल की है। लेकिन इस व्यवस्था में ‘टका सेर भाजी-टका सेर खाजा” की तर्ज पर पैदल दूरी दो किमी हो, अथवा चाहे जितनी ज्यादा, एक हजार रुपए की बराबर धनराशि देने की व्यवस्था की है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि इस कारण अधिक दूरी के ग्रामीण इस योजना का लाभ नहीं उठा रहे हैं। वहीं जिले के सीएमओ डा. एलएम उप्रेती ने बताया कि उन्होंने प्रदेश सरकार से पैदल दूरी के हिसाब से दर तय करने का अनुरोध किया है।

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