-आगामी 14 नवंबर बाल दिवस को आयोजित होगा बाल विधानसभा का पहला सत्र -नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्र मतदान के जरिए करेंगे विधायकों का चयन नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, उत्तराखंड राज्य में स्कूली बच्चों की अपनी सरकार होंगे। हर जिले के स्कूली बच्चे आपस में से चार बाल विधायकों को चुनेंगे। चुने गए बाल विधायकों की बकायदा अपनी विधानसभा होगी, जहां उनके आने-जाने व ठहरने के लिए सरकारी व्यवस्था होगी। इस हेतु उन्हें मदद के लिए दो सहायक भी दिए जाएंगे, तथा पहचान पत्र भी जारी किए जाएंगे। आगामी 14 नवंबर यानी बाल दिवस को बाल विधानसभा का सत्र देहरादून के किसी होटल में आयोजित होगा। आगे वह अपने क्षेत्रों में बच्चों में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करेंगे तथा एनजीओ के माध्यम से गरीब छात्रों को मदद पहुचाएंगे। महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण का नियम यहां भी लागू होगा, यानी हर जिले से दो छात्र एवं दो छात्राएं ही बाल विधायक बन पाएंगे, और 18 वर्ष की आयु पूरी करने तक उनका कार्यकाल रहेगा।
राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अजय सेतिया ने 14 नवंबर को आयोजित होने वाली बाल विधानसभा के लिए बाल विधायकों के चयन हेतु सभी जिलों को एडवाइजरी भेज दी है। जिसके अनुसार जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) सर्वप्रथम जिले के निजी विद्यालयों से एक एवं सरकारी विद्यालयों से तीन विद्यालयों का चयन लॉटरी की पद्धति से करेंगे। इन चयनित विद्यालयों के कक्षा नौ एवं कक्षा 11 के छात्र-छात्रा अपने माता-पिता अथवा अभिभावकों से लिखित अनुमति लेकर विधायक पद के लिए चुनाव में खड़े हो पाएंगे। सीईओ स्कूलो को बताएंगे कि उन्हें छात्र बाल विधायक का चयन करना है अथवा छात्रा का तथा वह नौवीं कक्षा से होंगे अथवा 11वीं से। आगे इन्हीं विद्यालयों के नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्र मतदान के जरिए अपने विद्यालयों से एक-एक बाल विधायक का चुनाव करेंगे। स्कूल चाहें तो मतदान की बजाय बच्चे की बाल अधिकारों के प्रति रुचि एवं विभिन्न विषयों पर उसकी जागृति को देखते हुए भी किसी छात्र अथवा छात्रा को बाल विधायक के रूप में मनोनीत कर सकते हैं।
बाल विधायक 18 वर्ष की आयु पूरी करने तक इस पद पर रह पाएंगे, यानी 18 की आयु में हर बाल विधायक सेवानिवृत्त हो जाएगा, तथा उसकी जगह उसी जनपद से नया बाल विधायक चुना जाएगा।सभी सीईओ से आगामी आठ अक्टूबर तक चयनित चार विद्यालयों तथा 25 अक्टूबर तक चयनित बाल विधायकों की पूरी सूचना राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भेजनी है। जिले के सीईओ रघुनाथ लाल आर्य ने उम्मीद जताई कि इस पहल से बच्चे बचपन से अच्छा संसदीय ज्ञान व व्यवस्था सीख पाएंगे, तथा बहुत संभव है कि आगे चलकर भविष्य में वास्तव में विधायक व सांसद चुने जाकर देश-प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान देंगे।
उल्लेखनीय है की पहली बाल सरकार में मुख्यमंत्री संदीप पंत, गृहमंत्री पंकज सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री सूर्य प्रताप सिंह, समाज कल्याण मंत्री दिशा भट्ट, श्रम मंत्री ज्ञान बाबू, आपदा मंत्री करमजीत सिंह और नेता प्रतिपक्ष सूरज पंत सहित कुल 70 विधायक शामिल थे।
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