देश में एकमुश्त रिकार्ड 50 गुना तक बढ़ा दैवीय आपदा का मुआवजा


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  • अब एक की बजाय तीन पशुओं की मौत पर भी मिलेगा मुआवजा
  • केंद्र सरकार ने राज्य आपदा मोचन निधि-एसडीआरएफ के प्राविधानों में किए बड़े बदलावों का मिलेगा लाभ

नवीन जोशी, नैनीताल। मुआवजे से कभी भी नुकसान की पूरी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। यह केवल प्रभावित व्यक्ति के तात्कालिक आंसू पोंछने का उपक्रम है। लेकिन केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों के लिए राज्यों द्वारा जारी किए जाने वाले एसडीआरएफ यानी राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में परिवर्तन कर दैवीय आपदा के मुआवजे में रिकार्ड 50 गुुने से अधिक तक की वृद्धि की गई है, उससे जरूर प्रभावितों को पूर्व के मुकाबले बड़ी राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार हर पांच वर्ष में राज्य आपदा मोचन निधि (स्टेट डिजास्टर रिस्पोंस फंड-एसडीआरएफ) के मानकों में परिवर्तन करती है, और स्वयं ही इस हेतु राज्यों को जरूरी धनराशि उपलब्ध कराती है। इधर बीती नौ अप्रैल 2015 को केंद्र सरकार द्वारा एसडीआरएफ के प्राविधानों में किए गए नए प्राविधान मुख्यालय पहुंच गए हैं, जिन्हें आपदा पीड़ितों के लिए बड़ी राहत माना जा सकता है। यह मानक 2015 से 2020 तक के लिए होंगे।

यह हुए हैं मानकों में बदलाव

  • अब तक किसी पशुपालक को कितने भी गाय, भैंस व ऊंट आदि दुधारू पशुओं की मौत होने पर केवल एक पशु की मौत का रुपए 16,400 मुआवजा मिलता था, जो कि अब 30 हजार हो गया है। साथ ही मुआवजे की सीमा तीन पशुओं तक बढ़ा दी गई है। यानी अधिकतम 90 हजार रुपए तक मुआवजा मिल सकता है, जो कि पांच गुने के करीब है।
  • इसी तरह भेड़, बकरी आदि छोटे पशुओं की मौत पर अब तक अधिकतम चार पशुओं के लिए 1,650 की दर से मुआवजा अनुमन्य था, जबकि अब तीन हजार रुपए का मुआवजा 40 पशुओं तक यानी 1.2 लाख तक मिल सकता है। यह वृद्धि 18.18 गुने से भी अधिक है।
  • कृषि व ढुलाई वाले घोड़ा, ऊंट व बैल आदि बड़े पशुओं का मुआवजा अधिकतम एक पशु के लिए 1,500 रुपए से बढ़कर प्रति पशु 25 हजार तथा अधिकतम तीन पशुओं तक अनुमन्य कर दिया है। यानी 75,000 तक मुआवजा मिल सकता है, जोकि पहले के मुकाबले 50 गुना है।
  • छोटे ढुलाई वाले पशुओं, बछिया, गधा व खच्चर आदि के मुआवजा 10 हजार की दर से अधिकतम दो पशुओं का मिलता था, जबकि अब 16 हजार की दर से छह पशुओं का मिल सकेगा।
  • मुर्गी आदि पोल्ट्री फार्म में नुकसान पर 30 रुपए की दर से अधिकतम 400 रुपए मुआवजे की जगह अब 50 रुपए प्रति की दर से अधिकतम पांच हजार रुपए तक मुआवजा मिलेगा।
  • जनहानि होने पर मुआवजा डेढ़ लाख से बढ़ाकर चार लाख कर दिया गया है, वहीं अपंगता पर 40 से 80 फीसद तक अपंगता पर 43,500 रुपए मुआवजे के प्राविधान को बदलकर 40 से 60 फीसद अपंगता पर 59,100 रुपए, तथा पूर्व के 80 फीसद से अधिक अपंगता पर 62 हजार की जगह 60 फीसद से अधिक अपंगता पर दो लाख रुपए का प्राविधान किया गया है। इससे अधिक लोगों के लाभान्वित होने की उम्मीद है।
  • कृषि में अब तक सिंचित भूमि पर हुई बुवाई पर 3,000 व असिंचित पर 6,000 रुपए प्रति हैक्टेयर की जगह अब सिंचित पर 13,500 व असिंचित पर 6,800 मिलेगा। यह भी तय हुआ है कि सिंचित पर न्यूनतम 1,000 और असिंचित पर न्यूनतम 500 रुपए मुआवजा दिया ही जाएगा। बताया गया है कि इसमें उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने मुख्यमंत्री राहत कोष से सभी किसानों को न्यूनतम एक हजार रुपए मुआवजे की क्षतिपूर्ति करने की घोषणा की है।
  • सदाबहार फसलों पर 8,000 प्रति हैक्टेयर की जगह 18 हजार व न्यूनतम धनराशि एक हजार से बढ़ाकर दो हजार कर दी गई है। इसी तरह रेशम पर 32 हजार की जगह 48 हजार व मूंग पर चार की जगह छह हजार रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से मुआवजा मिलेगा। न्यूनतम 50 फीसद नुकसान पर ही मुआवजे की शर्त घटाकर 33 फीसद कर दी गई है।

पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पहली बार हुए अलग प्राविधान

नैनीताल। भवनों की क्षति के मामले में पहली बार दैवीय आपदा के मामले में अधिक संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग एवं मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले अधिक मुआवजे के प्राविधान किए गए हैं। अब तक पूर्ण क्षतिग्रस्त कच्चे मकानों के लिए 15 हजार व पक्के के लिए 35 हजार तथा तीक्ष्ण क्षतिग्रस्त पक्के के लिए 6,300 व कच्चे के लिए 3,200 के प्राविधान थे। अब इनकी जगह मैदानी क्षेत्रों में पक्के-कच्चे हर तरह के पूर्ण व तीक्ष्ण दोनों तरह के क्षतिग्रस्त मकानों के लिए 95,100 जबकि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 1,01,90 रुपए मुआवजा मिलेगा। इसी तरह झोपड़ी के लिए 2,500 की जगह 4,100 व गौशाला के लिए 1,250 की जगह 2,100 रुपए मुआवजा मिलेगा।

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