-पूर्व सीएम के दिल में अभी भी है 1991 का लोक सभा चुनाव हारने की टीस
नवीन जोशी, नैनीताल। दो प्रदेशों-यूपी (1976-1977, 1984-1985, 1988-1989) एवं उत्तराखंड (2002-2007) का मुख्यमंत्री रहने के रिकार्डधारक एवं देश की राजनीति में विदेश (1986-87) व उद्योग सहित अनेक मंत्रालयों में मंत्री तथा आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल (22 अगस्त 2007 – 26 दिसम्बर 2009) रहे पंडित नारायण दत्त तिवारी ने जिंदगी में अनेक चुनाव जीते और हारे भी, लेकिन 1991 का चुनाव हारने की टीस आज भी उनके मन में गहरे तक पैठी हुई है। यह टीस शनिवार को अपने विद्यालय में पहुंचने के दौरान उनकी जुबान पर आ गई। उन्होंने 1991 के चुनाव की पूरी कहानी बयां की और कहा कि दिलीप कुमार की वजह से वह यह चुनाव हारे और प्रधानमंत्री नहीं बन पाए, जबकि हैदराबाद के लिए अपना (राजनीतिक तौर पर) ‘बोरिया-बिस्तर’ बांध चुके पीवी नरसिम्हाराव अपनी किस्मत से प्रधानमंत्री बन गए। उनके सामने बिना मेहनत थाली में सजा हुआ सा प्रधानमंत्री का पद आ गया।
1991 के लोक सभा चुनाव को याद करते हुए पंडित तिवारी ने कहा-‘दिलीप साहब उन्हें बहेड़ी ले गए, (तब बरेली जिले की यह विधानसभा नैनीताल लोक सभा सीट का हिस्सा थी।) बहेड़ी में उर्दू व फारसी बोलने वाले लोगों की अधिकता है। दिलीप साहब ने उनसे (तिवारी से) मंच पर अरबी व फारसी में आजादी और आजादी की लड़ाई का मतलब पूछा, जिसका उन्होंने सही जवाब दे दिया। इस दौरान दिलीप साहब ने तिवारी को जिताने की जनता से अपील भी की।’ बकौल तिवारी उन्हें पता नहीं था कि दिलीप साहब का असली नाम ‘यूसुफ खान’ है। यही बात उनके खिलाफ गई। बहेड़ी की जनता में यह संदेश गया कि यूसुफ मियां उनकी सिफारिश कर रहे हैं, और उन्होंने करीब पांच हजार वोटों से तिवारी को चुनाव हरा दिया। उल्लेखनीय है कि यह वह दौर था, जब देश की राजनीति में कांग्रेस पार्टी की तूती बोलती थी, और 21 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान ही श्रीपेरुमबुदूर में हुए एक आत्मघाती बम विस्फोट में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मृत्यु हो गई थी, और कांग्रेस के प्रति देश भर में एक तरह की सहानुभूति भी थी, बावजूद भाजपा की ओर से बिल्कुल नए चेहरे बलराज पासी से उन्हें लोक सभा की अन्य सभी विस क्षेत्रों में अधिक मत प्राप्त होने के बावजूद बहेड़ी विस में पड़े विरोधी मतों की वजह से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन कांग्रेस को बहुमत मिला था, और इतिहास में दूसरी बार (लाल बहादुर शास्त्री के बाद) कांग्रेस पार्टी की ओर से किसी गैर गांधी-नेहरू परिवार के व्यक्ति के लिए प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलना था। तिवारी का अपनी वरिष्ठता के चलते दावा सर्वाधिक मजबूत था, लेकिन उनकी हार की वजह से पीवी नरसिम्हाराव को यह मौका मिला।
यहाँ क्लिक कर ‘समय लाइव’ पर भी पढ़ें : दिलीप कुमार की वजह से नहीं बन सका पीएम : एनडी
1998 के चुनाव में हार के लिए जगदंबिका पाल संबंधी बयान को माना जाता है जिम्मेदार
नैनीताल। 1998 का लोस चुनाव 22 फ़रवरी का हुआ था। इससे ठीक एक दिन पहले कांग्रेसी नेता (वर्तमान में भाजपा में) जगदंबिका पाल सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की मदद से भाजपा के कल्याण सिंह को हटाकर केवल तीन दिन के लिए (21 फ़रवरी 1998 – 23 फ़रवरी 1998) यूपी के मुख्यमंत्री बने थे। इसे मुलायम की संभल में लोस चुनाव हारने की संभावना के मद्देनजर हुआ जोड़-तोड़ माना जा रहा था। इस दौर में उत्तराखंड में राज्य आंदोलन भी आरक्षण आंदोलन के रूप में आगे बढ़ रहा था। मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में पहाड़ विरोधी माने जाते थे। इन परिस्थितियों के बीच में 22 फ़रवरी 1998 के समाचार पत्रों में पंडित तिवारी का बयान छपा था कि पाल के सीएम बनने से देश में धर्म निरपेक्ष ताकतें मजबूत होंगी। उनके इस बयान को क्षेत्रीय जनता ने मुलायम सिंह का समर्थन करने के रूप में लिया, जिसका खामियाजा भी तिवारी को भाजपा से पहली बार चुनाव लड़ीं इला पंत (पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. कृष्ण चंद्र पंत की धर्मपत्नी) हार के रूप में भुगतना पड़ा। हालांकि तिवारी के करीबी कहते हैं कि वास्तव में पाल के मुख्यमंत्री बनने की खबर आते ही उनकी पहली स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी-पाल की अति महत्वाकांक्षा उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी।
अपने स्कूल और कक्षा में लौटकर भाव-विभोर हुए एनडी
नैनीताल। शनिवार को यूपी व उत्तराखंड के पूर्व सीएम रहे एनडी तिवारी अपनी पत्नी उज्जवला शर्मा व जैविक पुत्र रोहित शेखर तथा समर्थकों के साथ व उनकी मदद से अपने तथा नगर के सबसे पहले स्थापित विद्यालय सीआरएसटी पहुंचे, तथा अपनी कक्षा में बैठे। इस मौके पर विद्यालय के छात्र रहे तथा पूर्व विधायक व उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष डा. नारायण सिंह जंतवाल ने उनका स्वागत किया। इस दौरान तिवारी पुरानी यादों में खो गए कि किस तरह उनके (रिस्ते के) सजवाणी वाले बड़बाज्यू (दादाजी) हरी दत्त जोशी ने उन्हें 1936 में जबकि वह केवल 11 वर्ष के थे (जन्म 18 अक्टूबर, 1925) और कद में भी काफी छोटे थे, यहां भर्ती कराया था। सामान्य ज्ञान के शिक्षक फ्रेंक रावत व इंसपेक्टर हरीश चंद्र ने उनसे अंग्रेजी शब्द ‘स्नेल’ (Snail) का अर्थ पूछा था, जिसका उन्होंने अपने पिता पूर्णानंद तिवारी द्वारा घर पर पढ़ाई गई ग्रामर के आधार पर ‘गनेल’ (घोंघा के लिए प्रयुक्त कुमाउनी शब्द) जवाब दिया था। इस उत्तर से उनकी विद्वता देखकर उन्हें एक आगे की कक्षा में प्रवेश दे दिया। उन्होंने बताया कि यहां से आगे वह इलाहाबाद विवि गए और वहां लाइब्रेरी में लगातार 10-10 घंटे पढ़कर बीए में प्रथम रहे, तथा एमए में उन्होंने नया विषय-‘डिप्लोमैसी इन इंटरनेशनल अफेयर्स’ लेकर ‘फर्स्ट क्लास फर्स्ट’ में उत्तीर्ण किया।
आगे अपने जीवन के कुछ अनछुवे रहस्यों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वह 1942 के भाारत छोड़ो आंदोलन में बचपन से ही कूद पड़े थे। इस पर उन्हें 14 दिसंबर 1942 को अंग्रेजी सरकार विरोधी पर्चे लिखने के आरोप में बरेली के बाल सुधार गृह भेजा गया और वह यहीं नाबालिग से बालिग हुए थे, और बरेली के सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किए गए थे। गौरतलब है की इस दौरान उनके पिता बरेली जिला जेल में थे। इस दौरान ही उन्होंने ‘खुट खुटानी, सुट विनायक’ (यानी खुटानी में पैर रखो और तत्काल (अच्छी सड़क-गाड़ी से) विनायक पहुँचो) तथा ‘एक घंटा देश के लिए और बाकी पेट के लिए” का नारा देते हुए स्थानीय लोगों को अपने गांव पदमपुरी, विनायक से खुटानी तक के लिए श्रमदान कर सड़क का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया, और करीब 10 किमी सड़क बना भी दी। बकौल तिवारी उनकी यही डिग्री देखकर बाद में उन्हें विदेशी मंत्री का पद मिला। इस मौके पर उन्होंने प्रधानाचार्य मनोज पांडे से तत्कालीन प्रधानाचार्य पीडी सनवाल के चित्र के बारे में भी पूछा तथा अन्य जानकारियां भी लीं और उनका हाथ चूमकर आशीर्वाद भी दिया। आगे तिवारी भवाली स्थित टीबी सेनिटोरियम तथा घोड़ाखाल स्थित ग्वेल देवता के मंदिर भी गए।
यह भी पढ़ें :
नैनीताल लोक सभा सीट का चुनावी इतिहासः
वर्ष जीते प्रत्यासी (पार्टी) मत हारे प्रत्यासी मत अंतर
1951 सीडी पांडे (कांग्रेस) 74314 दान सिंह 54828 19486
1957 सीडी पांडे (कांग्रेस) 79221 सैबिल खान (निर्दलीय) 49734 29487
1962 केसी पंत (कांग्रेस) 113083 सैबिल खान (पीएसपी) 48440 64643
1967 केसी पंत (कांग्रेस) 91048 डीके पांडे (निर्दलीय) 57189 33859
1971 केसी पंत (कांग्रेस) 159937 दया किशन (एनसीओ) 59940 99997
1977 भारत भूषण (भारतीय लोक दल) 196304 केसी पंत (कांग्रेस) 111659 84645
1980 एनडी तिवारी (कांग्रेस-इ) 163117 भारत भूषण (जेएनपी) 58695 104422
1984 सत्येंद्र चंद्र गुड़िया (कांग्रेस) 274557 अकबर अहमद डंपी (निर्दलीय) 107897 166660(III)लाखन सिंह (भाजपा) 16276
1989 महेंद्र सिंह पाल (जनता दल) 185006 गुड़िया (कांग्रेस) 161490 23516
1991 बलराज पासी (भाजपा) 167509 एनडी तिवारी (कांग्रेस) 156080 11429 (III)महेंद्र पाल (जद) 81936
1996 एनडी तिवारी (कांग्रेस-तिवारी ) 307449 बलराज पासी (भाजपा) 151604 155845
1998 इला पंत (भाजपा) 292761 एनडी तिवारी (कांग्रेस) 277184 15577
1999 एनडी तिवारी (कांग्रेस) 350381 बलराज पासी (भाजपा) 237974 112407
2004 केसी बाबा (कांग्रेस) 275658 विजय बंसल (भाजपा) 226474 49184
2009 केसी सिंह बाबा (कांग्रेस) 321377 बची सिंह रावत (भाजपा) 232965 88412
2014 भगत सिंह कोश्यारी (भाजपा) 636769 केसी सिंह बाबा (कांग्रेस) 3,52,052 285717
नवीन जोशी जी धन्यवाद !!! पंडित नारायण दत्त तिवारी जी के बारे मे सटीक जानकारीयाँ पढने को मिली ! (“तिवारी के बहाने-नैतिकता और अनैतिकता ) बहुत सुन्दर रचना ……..
दयानन्द पाण्डेय जी की कलम से ”बूबू” (तिवारीजी) के बारे मे सटीक जानकारीयाँ पढने को मिली…आभार…..!!
कहने को बहोत कुछ था अगर कहने पे आते
दुनिया की इनायत है के हम कुछ नहीं कहते
कुछ कहने पे तूफान उठा लेती है दुनिया
अब इस पे कयामत है के हम कुछ नहीं कहते…!!
पसंद करेंपसंद करें
नवीन जोशी जी धन्यवाद !!! पंडित नारायण दत्त तिवारी जी के बारे मे सटीक जानकारीयाँ पढने को मिली ! (“तिवारी के बहाने-नैतिकता और अनैतिकता ) बहुत सुन्दर रचना ……..
दयानन्द पाण्डेय जी की कलम से ”बूबू” (तिवारीजी) के बारे मे सटीक जानकारीयाँ पढने को मिली…आभार…..!!
कहने को बहोत कुछ था अगर कहने पे आते
दुनिया की इनायत है के हम कुछ नहीं कहते
कुछ कहने पे तूफान उठा लेती है दुनिया
अब इस पे कयामत है के हम कुछ नहीं कहते…!!
Raj Sharma @ Facebook @ https://www.facebook.com/groups/Lovenainital/893532684017827/?notif_t=group_comment
पसंद करेंपसंद करें