- वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली – पेशावर कांड के नायक
- इन्द्र मणि बडोनी: उत्तराखंड का गाँधी
- देवकी नंदन पांडे: कुमाऊँ का गाँधी
- अनुसुया प्रसाद बहुगुणा: गढ़ केसरी
- बद्री दत्त पांडे: कुमाऊँ केसरी ( कुमाऊं का इतिहास पुस्तक के लेखक)
- बद्री दत्त पांडे: कुली बेगार आन्दोलन के नायक
- पं. हर्ष देव जोशी (हरक देव जोशी) : कुमाऊं का चाणक्य, कुमाऊं का शिवाजी
- हर्ष देव ओली: काली कुमाऊं का शेर
- विश्वेश्वर दत्त सकलानी: वृक्ष मानव
- शिव प्रसाद डबराल: चारण, इन्साइक्लोपीडिया ऑफ उत्तराखंड
- मौला राम: गढ़वाली चित्रकला के जन्मदाता
- पंडित नैन सिंह रावत: भारतीय राज्यों का साथी, मौलिक पंडित
- गुमानी पंत: कुमाऊं साहित्य के प्रथम कवि,
- लोकरत्न गौरी दत्त पांडे: गौर्दा
- हेमवंती नंदन बहुगुणा: धरती पुत्र, हिमालय पुत्र
- रानी कर्णावती: नाक कटी रानी
- गौरा देवी: चिपको वुमन (चिपको आन्दोलन की जन्मदात्री)
- दीपा देवी: टिंचरी माई, ठगुली देवी
- आइरिन पंत: अल्मोड़ा की बेटी, पाकिस्तान की बहू
- फेड्रिक विल्सन: पहाड़ी विल्सन
- तीलू रौतेली: उत्तराखंड की झाँसी की रानी
- मोहन लाल उनियाल: श्रीमन्त
- गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ : जनकवि
- कल्याण सिंह रावत: मैती आंदोलन के जन्मदाता
- कुंवर सिंह नेगी: गढ़वाल का हातिमताई
- कालू महर: उत्तराखण्ड के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी
- जिया रानी: कुमाऊं की लक्ष्मीबाई
- बच्चू लाल भट्ट -गढ़वाली
- महिधर शर्मा डंगवाल: धर्माधिकारी
उत्तराखंड के कुछ और व्यक्तित्वों के बारे में पढने के लिए यहाँ क्लिक करें
यह भी पढ़ें :
- चार हजार वर्ष पुराना हड़प्पा कालीन है उत्तराखंड राज्य का इतिहास
- अंग्रेजों के आगमन (1815) से ही अपना अलग अस्तित्व तलाशने लगा था उत्तराखंड
- दो अक्टूबर के कुछ अलग मायने हैं उत्तराखंड वासियों के लिए
- चंद राजाओं की विरासत है कुमाऊं का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य
- कुमाउनी ऐपण: शक, हूण सभ्यताओं के साथ ही तिब्बत, महाराष्ट्र, राजस्थान व बिहार की लोक चित्रकारी की भी मिलती है झलक
- स्कॉटलेंड से गहरा नाता रहा है कुमाऊं और उत्तराखंड का
- राजुला-मालूशाही और उत्तराखंड की रक्तहीन क्रांति की धरती, कुमाऊं की काशी-बागेश्वर
- उत्तराखंडी ‘बांडों’ के कन्धों पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी
- 15 अगस्त को ‘स्वदेशी’ का नया विश्व कीर्तिमान बनाकर देश का ‘गौरव’ बढ़ाया नैनीताल के गौरव ने !
- पहाड़ से ऊंचा तो आसमान ही हैः क्षमता
- उत्तराखंड के लिए प्रधानमंत्री मोदी के सीएम कैंडीडेट के तौर पर पसंद हो सकते हैं पूर्व नौकरशाह सूर्यप्रताप सिंह
- नैनीताल की लतिका ने 12वें दक्षिण एशियाई खेलों में जीता स्वर्ण पदक
- अपने मरीजों ही नहीं, दुनिया को बचाने चला है यह डॉक्टर
- दिलीप कुमार की वजह से प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे एनडी, और किस्मत से बन गए थे नरसिम्हा राव
- कैंची धाम से निकली थी एप्पल और फेसबुक की तरक्की और ओबामा की जीत की राह
- जितने सवाल-उतने जवाब थे अपने फक्कड़दा-गिर्दा
- बड़े परदे की हालत खस्ता, छोटे परदे पर भारी शोषण : तिवारी
- अब उत्तराखंड सरकार के मुरीद हुए सिने अभिनेता हेमंत पांडे
- ‘पथरीली पगडंडियों पर’ अपने साथ दुनिया के इतिहास की सैर भी कराते हैं वल्दिया
- नैनीताल जनपद में एक साथ बने सर्वाधिक उम्र तक जीवित रहने के पांच विश्व रिकार्ड !
- नहीं रहे 11 गोरखा रेजीमेंट के संस्थापक सदस्य मेजर जीआई पुनवानी
- नैनीताल से ही नरेंद्र बना था शिकागो का राजर्षि विवेकानंद
- फिर कानूनी प्रक्रिया में फंसते दिख रहे हैं डीजीपी बीएस सिद्धू
- पंजाब में आतंकवाद खत्म करने व तहलका जांच सहित अनेक उपलब्धियां जुड़ी हैं उत्तराखण्ड के मनोनीत राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पॉल के नाम
- अब मोदी की बारी है…. अब मोदी की बारी है….
- संबंधित पोस्टः 2009 में ही नैनीताल में दिखाई दे गई थी मोदी में ‘पीएम इन फ्यूचर’ की छवि
- नैनीताल के बच्चों ने एपीजे से बनाया था ‘काका कलाम’ का रिश्ता
- कौन हैं अन्ना हजारे ? क्या है जन लोकपाल विधेयक ?
- राहुल की ‘साफगोई’ के मायने
- आम आदमी की नहीं, जाति, धर्म व पंथीय राजनीति का कॉकटेल है ‘आप’ की जीत
- संबंधित पोस्टः क्या देश को भी दिल्ली की तरह मध्यावधि चुनावों में धकेलेंगेकेजरीवाल !
- इस झाड़ू ने तो गंदगी ही अधिक फैला दी…
- एनडी तिवारी के बहाने
- संबंधित पोस्टः एनडी-उज्जवला के विवाह को शास्त्र सम्मत नहीं मानते विद्वान
- डीएनए जांच में चूक को लेकर एनडी का तर्क सिरे से खारिज
- जितने सवाल-उतने जवाब थे गिर्दा, जितने सवाल-उतने जवाब थे अपने फक्कड़दा-गिर्दा
- संबंधित पोस्टः जनकवि ‘गिर्दा’ की दो एक्सक्लूसिव कविताएं
- आखिर सच साबित हो गई गिर्दा की गैरसैंण के जीआईसी में राज्य की विधान सभा की कल्पना
- कौन और क्या हैं हरीश रावत ?
- संबंधित पोस्टः क्या अपना बोया काटने से बच पाएंगे हरीश रावत ?
- नेहरू के बहाने: सोनिया-राहुल से भी आगे निकलने की कोशिश में हरीश रावत
- ओलंपियन राजेंद्र रावतः दर्द से कहीं बड़ी होती है देश को जिताने की खुशी
- पहाड़ की बेटी ने छुवा आसमान, मनस्वी बनी ‘मिस इंडिया वर्ल्ड’
- ‘एक्सन जैक्सन’ से रुपहले पर्दे पर पदार्पण करेगी पहाड़ की बेटी ‘मनस्वी‘
- ‘पथरीली पगडंडियों पर’ अपने साथ दुनिया के इतिहास की सैर भी कराते हैंवल्दिया
- अटल व तिवारी के सहारे सियासी कद बढ़ाने की कोशिष में निशंक
- सत्याग्रह की जिद पर गांधी जी को भी झुका दिया था डुंगर ने
- वो भी क्या थे…. द्वितीय विश्व युद्ध के सेनानी स्वर्गीय देवी दत्त जोशी
- निर्मल पांडे का जाना
- गोविंद बल्लभ पंतः हिमालय सा व्यक्तित्व और दिल में बसता था पहाड़
- अब तो बस यह देखिए कि बहुगुणा के लिए 13 का अंक शुभ साबित होता है या नहीं…
- संबंधित पोस्टः 10 जनपथ की नाकामी अधिक है बहुगुणा की वापसी
- तरुण विजय ने पूरा किया कुमाऊं विवि में नैनो साइंस एवं नैनो तकनीकी केंद्र का सपना
- ‘आस्कर पिस्टोरियस’ की राह पर दून का लोकेश
- बड़े परदे की हालत खस्ता, छोटे परदे पर भारी शोषण : ललित तिवारी
- अब उत्तराखंड सरकार के मुरीद हुए सिने अभिनेता हेमंत पांडे
- उत्तराखंड से पहले मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत
- राजीव मेहता: ग्लास्गो में ‘कैच’ हुआ नैनीताल का एक ‘सिक्सर किंग’
- ‘यादों का इडियट बॉक्स’ वाले नीलेश ने खोला अपने ‘याद शहर’ का राज
- दुश्यंत’ के बाद गजल का मतलब हैं ‘बल्ली’
- भारत के सच्चे मुस्लिम नहीं करते गौ-हत्या, बाबर भी था गौरक्षक : कुरैशी
- शाही इमाम ने मोदी नहीं 125 करोड़ देशवासियों का किया है अपमान: कुरैशी
- एरीज में रिकार्ड 16 वर्ष लंबी सल्तनत रही है विवादित निदेशक प्रो. राम सागर की
- देश ही नहीं दुनिया के पर्यटन के इनसाइक्लोपीडिया हैं विजय मोहन सिंह खाती
- नहीं रहे 11 गोरखा रेजीमेंट के संस्थापक सदस्य मेजर जीआई पुनवानी
- तीन करोड़ प्रवासी उत्तराखंडियों को वापस लौटाने को आरएसएस की ‘मेरा गांव-मेरा तीर्थ’ योजना
उत्तराखण्ड की इतिहास के झरोखे से कुछ एतिहासिक घटनायें :
- 1635 : उत्तराखंड में आगे बढ़ रही शाहजहाँ की नवाजत खान के नेतृत्व वाली रॉयल मुग़ल सेना को रानी कर्णावती की सेना से हार कर गढ़वाल वापस लौटना पड़ा ।
- 1743-45 : कुमाऊँ पर रुहेलों का आक्रमण।
- 1790: कुमाऊँ में चन्द राजाओं के अवसान के बाद गोरखाओं का शासन प्रारम्भ।
- 1803: गढवाल में गोरखाओं का शासन प्रारम्भ।
- 1813 : कुमाऊं रेजिमेंट की स्थापना।
- 1815: सिंगोली संधि से कुमाऊं में अंग्रेजों का आगमन, पवांर नरेश द्वारा टिहरी की स्थापना।
- 1815: 24 अप्रैल को अलमोड़ा में 1/3 गोरखा राइफल्स (आरंभ में कुमाऊं स्थानीय बटालियन नाम, अब गोरखा रेजिमेंट) की स्थापना।
- 1815 : 28 दिसंबर को गढ़वाल के तत्कालीन महाराजा सुदर्शन शाह ने पवार राजवंश की तीसरी और आखिरी राजधानी टिहरी की स्थापना की, जो अब डूब चुकी है।
- 1816: सिंगोली संधि के अनुसार टिहरी के अलावा शेष गढ़वाल में अंग्रेजों का आगमन।
- 1834: अंग्रेज अधिकारी ट्रेल ने हल्द्वानी नगर बसाया।
- 1840: देहरादून में चाय के बगान का प्रारम्भ।
- 1841: 18 नवम्बर को नैनीताल नगर की स्थापना।
- 1842 : उत्तरी भारत के पहले ‘द हिल्स’ (अंग्रेजी भाषा में) नामक समाचार पत्र का प्रकाशन मसूरी के सेमेनरी स्कूल परिसर स्थित प्रिंटिंग प्रेस से प्रारंभ।
- 1847: रुड़की इन्जीनियरिंग कालेज की स्थापना।
- 1850: नैनीताल में प्रथम मिशनरी स्कूल-वर्तमान सीआरएसटी इंटर कॉलेज खुला।
- 1852: रुड़की मे सैनिक छावनी का निर्माण।
- 1854: रुड़की गंग नहर में सिंचाई हेतु जल छोडा गया।
- 1857: टिहरी नरेश सुदर्शन शाह ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोंद्धार किया गया।
- 1860: देहरादून में अशोक शिलालेख की खोज, नैनीताल बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी।
- 1861: देहरादून, सर्वे आफ़ इंडिया की स्थापना।
- 1865: देहरादून में तार सेवा प्रारम्भ।
- 1868 : नैनीताल से उत्तराखंड के पहले देशी (हिन्दी-उर्दू) ‘समय विनोद’ नामक पाक्षिक पत्र का प्रकाशन प्रारंभ।
- 1874: अल्मोडा नगर में पेयजल व्यवस्था का प्रारम्भ।
- 1877: महाराजा द्वारा प्रतापनगर की स्थापना।
- 1878: गढ़वाल के बीर सैनिक बलभद्र सिंह को ‘आर्डर आफ़ मेरिट’ प्रदान किया गया।
- 1880: 18 सितंबर को नैनीताल में महाविनाशकारी भूस्खलन; 53 यूरेशियन सहित 151 लोग हुए जिन्दा दफ़्न ।
- 1887: लैन्सडाउन में गढवाल राइफ़ल रेजिमेंट का गठन।
- 1888: नैनीताल में सेंट जोजेफ़ कालेज की स्थापना।
- 1891: हरिद्वार – देहरादून रेल मार्ग का निर्माण।
- 1894: गोहना ताल टूटने से श्रीनगर में क्षति।
- 1896: महाराजा कीर्ति शाह ने कीर्तिनगर का निर्माण।
- 1897: कोटद्वार-नजीबाबाद रेल सेवा प्रारम्भ।
- 1899: काठगोदाम रेलसेवा से जुडा।
- 1900: हरिद्वार-देहरादून रेलसेवा प्रारम्भ।
- 1903: टिहरी नगर में विद्युत ब्यवस्था।
- 1905: देहरादून एयरफ़ोर्स आफ़िस में एक्स-रे संस्थान की स्थापना।
- 1912: भवाली में क्षय रोग अस्पताल की स्थापना, मंसूरी में विद्युत योजना।
- 1914: गढवाली बीर, दरवान सिंह नेगी को विक्टोरिया क्रास प्रदान किया गया।
- 1918: सेठ सूरजमल द्वारा ऋषिकेश में ‘लक्षमण झूला’ का निर्माण।
- 1922: गढवाल राइफ़ल्स को ‘रायल’ से सम्मानित किया गया, नैनीताल विद्युत प्रकाश में नहाया।
- 1926: हेमकुंड साहब की खोज।
- 1930: चन्द्रशेखर आजाद का दुगड्डा में अपने साथियों के साथ शस्त्र प्रशिक्षण हेतु आगमन, देहरादून में नमक सत्याग्रह, मंसूरी मोटर मार्ग प्रारम्भ।
- 1932: देहरादून मे “इंडियन मिलिटरी एकेडमी ‘की स्थापना।
- 1935: ऋषिकेश-देवप्रयाग मोटर मार्ग का निर्माण।
- 1938: हरिद्वार-गोचर हवाई यात्रा ‘हिमालयन एयरवेज कम्पनी’ ने शुरू की।
- 1942: 7 वीं गढवाल रेजिमेंट की स्थापना।
- 1945: हैदराबाद रेजिमेंट का नाम बदलकर “कुमाऊं रेजिमेंट” रखा गया।
- 1946: डीएवी कालेज देहरादून में कक्षाएं शुरू हुई।
- 1948: रुड़की इन्जीनियरिंग कालेज-विश्वविद्यालय में रूपांतरित किया गया।
- 1949: अगस्त में टिहरी राज्य का भारतीय गणतन्त्र में, अल्मोडा कालेज की स्थापना।
- 1953: बंगाल सैपर्स की स्थापना रुड़की में की गई, उत्तराखंड का पहला हिंदी दैनिक अखबार ‘पर्वतीय’ नैनीताल से प्रकाशित।
- 1954: हैली नेशनल पार्क का नाम बदलकर जिम कार्बेट नेशनल पार्क रखा गया।
- 1960 : तीन सीमान्त जिले उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ का गठन।
- 1969: गढ़वाल मण्डल की स्थापना, मुख्यालय पौड़ी बनाया गया।
- 1958: मंसूरी में डिग्री कालेज की स्थापना।
- 1960: पंतनगर में कृषि एवम प्राद्यौगिकी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई।
- 1973: गढवाल एवम कुमांऊ विश्वविद्यालय की घोषणा की गई। 1 मार्च को गोपेश्वर से ‘चिपको आंदोलन’ की शुरुवात।
- 1975: देहरादून प्रशाशनिक रूप से गढ्वाल में सम्मिल्लित किया गया, चमोली जनपद में 87 किमी में फ़ैली फ़ूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- 1983 : प्रथम उत्तराखंडी (गढ़वाली) फिल्म ‘जग्वाल’ प्रदर्शित (निर्माता : पाराशर गौड़)।
- 1986: पिथौरागढ जनपद के 600 वर्ग किमी में फ़ैले अस्कोट वन्य जीव विहार की घोषणा की गई। गढ़वाली फिल्म ‘घर जवें’, ‘प्यारो रुमाल’, ‘कौथिक’ व ‘उदंकार’ प्रदर्शित।
- 1987: पौडी गढ़वाल में 301 वर्ग किमी में फ़ैले सोना-चांदी वन्य जीव विहार की घोषणा की गई। कुमाउनी भाषा की प्रथम फिल्म ‘मेघा आ’ प्रदर्शित (निर्माता : जीवन बिष्ट)।
- 1988: अल्मोडा बनभूमि के क्षेत्र बिनसर वन्य जीव विहार की घोषणा की गई।
- 1991: 20 अक्तूबर को भूकम्प में 1500 ब्यक्तियों की मौत।
- 1992: उत्तरकाशी में गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान तथा गोविंद राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना।
- 1994: उधमसिंह नगर जिले का गठन, पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग का आंदोलन- खटीमा में गोली चली, मुजफ़्फ़रनगर काण्ड, अनेक लोग शहीद हुए।
- 1995: श्रीनगर में आंदोलनकारियों पर गोली चली।
- 1996: रूद्रप्रयाग, चम्पावत, बागेश्वर व ऊधमसिंह नगर, चार नये जनपद बनाये गये।
- 1997: रुद्रप्रयाग, चम्पावत व बागेश्वर जिलों का गठन।
- 1999: चमोली में भूकम्प, 110 ब्यक्तियों की मौत।
- 2000: 9 नबम्बर-उत्तरांचल राज्य की स्थापना।
- 2007: 1 जनवरी से राज्य का नाम ‘उत्तरांचल’ से बदलकर ‘उत्तराखंड ‘
- 2009 :15 जनवरी को हेमवती नंदन बहुगुणा को मिला उत्तराखंड में पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा
- 2013: 15-16 जून को केदारनाथ में भीषण जल प्रलय।
Memoreal job
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
हर्ष देव जोशी के स्वार्थ के कारण उत्तराखंड में क्रूर गोर्खाली शाशन आया हज़ारो मारे गए और लाखों को गुलाम बनाया गया। कृपया उसे चाणक्य की संजा देकर चाणक्य और उत्तराखंडियों का अपमान न करें।
पसंद करेंपसंद करें