भारत के सच्चे मुस्लिम नहीं करते गौ-हत्या, बाबर भी था गौरक्षक : कुरैशी


Taking Interview with Governor Dr. Ajij Kuraishi

-दावा किया, वह आज से नहीं 50 वर्षों से हैं गौहत्या के विरोधी, उनकी वकालत को गवर्नर पद बचाने का उपक्रम बताने वाले लोग मानसिक दिवालियापन के शिकार
नवीन जोशी, नैनीताल। गौरक्षा के बाबत लगातार अपने विचार रख रहे प्रदेश के राज्यपाल ने कहा कि वह आज से नहीं 50 वर्षों से गौहत्या का विरोध कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में उनके पुराने जानने वाले लोग इसकी पुष्टि कर सकते हैं। कहा कि जो लोग उनकी इस बात को उनका गवर्नर पद बचाने का उपक्रम बता रहे हैं, वह वास्तव में मानसिक दिवालियापन के शिकार हैं। दावा किया कि सच्चे मुसलमान कभी गौ हत्या नहीं करते। दुनिया के ईरान-ईराक सहित तमाम मुस्लिम राष्ट्रों में गायें ही नहीं होती हैं। भारत के अन्य प्रांतों में गौहत्या पर केवल तीन वर्ष की सजा का प्राविधान है जबकि देश के मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर प्रांत में गौ हत्या पर 10 वर्ष की सजा मिलती है। उन्होंने पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के नाना द्वारा लिखित एतिहासिक पुस्तक के आधार पर दावा किया कि मुगल शासक बाबर भी गौरक्षक था। उसने अपनी वसीयत में हुमायूं के लिए लिखा था-हिंदुस्तान पर हुकूमत करनी है तो हिंदुओं का विश्वास जीतो, और गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाओ।

डा. कुरैशी ने यह बात मंगलवार को नैनीताल शरदोत्सव के तहत कार्निवाल के उद्घाटन से पूर्व पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। कहा कि वह 50 वर्षों से गौ हत्या का विरोध कर रहे हैं। इधर हाल में भी ढाई वर्ष पूर्व उन्होंने जूना अखाड़ा के शंकराचार्य द्वारा बुलाए गए कार्यक्रम में हजारों लोगों के बीच यह बात कही थी। उनके बयानों को गर्वनर पद बचाने का प्रयास बताने वालों को मानसिक दिवालियापन के शिकार बताते हुए उन्होंने कहा कि गवर्नर पद बचाना अलग बात है, उसके लिए वह सर्वोच्च न्यायालय गए हैं। कहा कि भारत की आत्मा मुगल काल से भी हिंदू-मुस्लिम एकता की रही थी। अकबर व महाराणा प्रताप के बीच हुए ऐतिहासिक हल्दी घाटी के युद्ध में अकबर के सेनापति राजा मानसिंह और महाराणा के सेनापति हकीम खां सूर थे। इस युद्ध में हकीम सहित हजारों मुस्लिम पठान भी मारे गए थे।

 पूर्व संबंधित आलेख: गौमाता को राष्ट्रमाता बताने पर सारे मुस्लिम खिलाफ हो जाएं, परवाह नहीं : डा. अजीज कुरैशी

नैनीताल। उत्तराखंड के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने उनके द्वारा गौमाता को राष्ट्रमाता बताने संबंधी बयान पर रविवार रात्रि स्थानीय बोट हाउस क्लब में दोहराया कि वह दिल से ऐसा मानते हैं। उन्होंने गत दिवस अखिल भारतीय गौरक्षा समिति की उनके कार्यक्रम में समिति के सदस्यों द्वारा गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने सम्बन्धी मांग को पूरा समर्थन देने की बात कही। कहा, जब मोर राष्ट्रीय पक्षी हो सकता है, छोटे-छोटे रजवाड़ों की शीर्ष महिलाएं राजमाता हो सकती हैं, तो 100 करोड़ देशवासियों की धार्मिक मान्यता के अनुरूप गौमाता राष्ट्रीय पशु और राष्ट्रमाता क्यों नहीं हो सकती हैं। उन्होंने खम ठोंककर कहा, मैं अपने इस बयान का विरोध करने वालों की बिल्कुल भी परवाह नहीं करता हूं। इस मामले में यदि पूरे देश के मुस्लिम भी उनके खिलाफ हो जाएं, तो उन्हें परवाह नहीं है।