शाही इमाम ने मोदी नहीं 125 करोड़ देशवासियों का किया है अपमान: कुरैशी


While taking Interview with Governor Dr. Ajij Kuraishi-कहा, शाहों-बादशाहों का दौर गया, मस्जिद में बैठकर नमाज पढ़ाने की ड्यूटी तक सीमित रहें इमाम, मुस्लिम कौम भी बर्दास्त नहीं करेगी
-कहा-पाक प्रधानमंत्री को बुलाकर राष्ट्रद्रोह जैसा कार्य किया है शाही इमाम ने

Rashtriya Sahara, Page 1, Dehradun Edition, 04.10.14

नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद इमाम बुखारी द्वारा जामा मस्जिद के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न बुलाने और पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलावा भेजने को लेकर कड़ी आलोचना की है। डा. कुरैशी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को कार्यक्रम में न बुलाना जहां ‘इंतेहाई खेदजनक, चिंताजनक और निंदाजनक” है, और शाही इमाम ने ‘प्रधानमंत्री मोदी का ही नहीं, 125 करोड़ देशवासियों का अपमान” किया है। वहीं उन्होंने ‘सीमापार से लगातार गोलाबारी और एलओसी (सीमा) का उल्लंघन कर रहे पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाकर” मुस्लिम कौम का अपमान और स्वयं में राष्ट्रद्रोह जैसा कार्य किया है। देश की मुस्लिम कौम भी शाही इमाम की ऐसी हिमाकत को बर्दास्त नहीं करेगी।

डा. कुरैशी ने यह बात रविवार रात्रि स्थानीय बोट हाउस क्लब में स्वयं पहल करते हुए यह बात कही। उल्लेखनीय है कि गत दिवस शाही इमाम सैयद इमाम बुखारी द्वारा अपने पुत्र की दस्तारबंदी के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी को नहीं वरन पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलावा भेजा है। इस विषय पर शाही इमाम से काफी नाराज लहजे में डा. कुरैशी ने आगे कहा, देश में शाह-बादशाहों का दौर खत्म हो चुका है, साथ ही शाही इमाम की कोई अहमियत नहीं रह गई है। सैयद इमाम बुखारी अब देश की किसी भी अन्य मस्जिद के इमाम की तरह जामा मस्जिद के इमाम भर हैं। उन्हें कभी इसको मुस्लिमों का चुनावी समर्थन देने तो कभी दूसरे की मुखालफत करने जैसी राजनीति से दूर रहना चाहिए। यह उनका काम नहीं है। उन्हें मस्जिद में बैठकर वहां नमाज पढ़ाने की अपनी ड्यूटी से मतलब रखना चाहिए। उन्होंने इस बात को भी ‘निहायत ही शर्मनाक” करार दिया कि न केवल प्रधानमंत्री मोदी को न बुलाने व नवाज शरीफ को बुलाने का कृत्य किया, वरन सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा भी की। उन्होंने शाही इमाम के कई मौकों पर फतवे जारी करने को लेकर कहा कि किसी भी इमाम को शरीयत में फतवा जारी करने का कोई अधिकार नहीं होता। शरीयत के अनुसार केवल योग्य (क्वालीफाइड) मुफ्ती ही फतवा जारी कर सकते हैं, और काजी द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद भी फतवा वैध होता है।

10 Comments

  1. भाई, मेरा तो मानना यह है कि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे का अपमान करने की चेष्टा तब करता है, जब वह अपने लिए सम्मान की अपेक्षा करना बंद कर देता है…. क्या ऐसे में अपने आप को अपमानित महसूस करना चाहिए? राजनैतिक बयानबाजी से हटकर व ऊपर उठकर देखा जाए तो एक नए तरह के मनोविज्ञान का अनुभव होता है…

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  2. महोदय, हम देख रहे हैं क़ि मीडिया किस तरह किसी जाहिल मौलवी को हाई-लाइटेड करता है/ यह बात तो पुरानी हो गई है लेकिन मीडिया जान बुझकर सिर्फ मोदी को नीचा दिखाने के लिये रोज रोज इस मामले को उछाल रहा है–ऐसा लग रहा है क़ि मोदी उसके निमंत्रण का इंतजार कर रहे थे..आने के लिये बस धोती-कुर्ता पहनकर तैयार थे.लेकिन एन वक्त पर बुखारी साहब मुकर गये/
    महोदय, इस देश में साँभ्रांत वर्ग–सामंत वर्ग आज भी हावी है/ इस वर्ग की न तो कोई जात होती है और न ही धर्म, सिर्फ सत्ता-स्वाद इनका मजहब होता है और यह साँभ्रांत वर्ग पिछले 2000 सालों से भारत की सत्ता पर हावी है/ क्या सल्तनत, क्या मुग़ल,,क्या अंगरेज..क्या कांग्रेस–सबमें यह वर्ग सत्ता पर हावी रहा है/ लेकिन जबसे मोदी आये हैं इस देश में हावी हुये हैं इस वर्ग की हेकड़ी गुम हो गई है और यह वर्ग अपने विशेषाधिकार पर खतरा महसूस कर रहा है/ यह वर्ग आज से नही बल्कि मोदी की क्षमता को देखकर 10 साल पहले से ही उनके पीछे पड़ा है क्योकि मोदी एक साधारण परिवार से आते हैं.. और बॉल का खाल निकालकर उनको परेशान करने की जुगत भिड़ाता रहता है/ कभी 2002 गुजरात के दंगे के नाम पर तो कभी—किसी लड़की की पीछा करने का मामला–तो कभी फर्जी मुठभेड़ के नांम वाला मामला–लेकिन मोदी ने इन सबका सामना वीरता से किया है/ क्या 2002 से पहले इस देश में दंगे नही होते थे? जब मई में मोदी पी एम बन गये हैं तो इस साँभ्रांत वर्ग को यकीन नही हो रहा है क़ि अब उनका विशेषाधिकार खत्म हो चुका है/ आज भी उनको नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं/ कभी उनको फेंकू कहते हैं तो कभी शंकराचार्य के माध्यम से विधर्मी कहलवाया जाता है/
    इमाम बुखारी साहब इसी तरह के साँभ्रांत वर्ग से आते हैं/ यह परिवार सैकड़ों सालों से सत्ता के नजदीक रहा है और अब अपने विशेषाधिकार पर खतरा महशुस कर रहा है/ धर्म और मजहब तो सिर्फ दिखावा है क्योकि साँभ्रांत वर्ग वाले किसी धर्म और जाती में अपनी हीत नही देखते हैं बल्कि सत्ता के नजदीकी में अपनी हीत देखते हैं/

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