-‘काका कलाम’ ने बच्चों से यहां कहा था- सपने देखो और उन्हें कार्यान्वित करो
– यहां 9-10 अगस्त 2011 नैनीताल के बच्चों से भी एक गुरु की भांति मिले थे दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति को
-कहा था-‘असंभव कल्पनाएें करो और उन्हें पूरा कर अद्वितीय बनो’ , ‘मुझे कुछ लेना है’ के बजाय’ मुझे देश को कुछ देना है’ का भाव रखो
नवीन जोशी, नैनीताल। ‘ड्रीम…. ड्रीम…. ड्रीम, ट्रांसफर देम इन टु थाट्स एंड रिजल्ट्स, एंड मेक एक्शन’ यानी खूब-खूब सपने देखो, उन्हें विचारों और परिणामों में बदलों और फिर कार्यान्वित करो। यह वे अनुकरणीय और प्रेरणादायी शब्द थे, जो दुनिया से ‘रातों को सोने न देने वाले सपने’ देखने का आह्वान करने वाले स्वप्नदृष्टा युगपुरुष दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने नैनीताल के बच्चों से कहे थे। देश के शीर्ष पद व सम्मान प्राप्त करने और दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिक होने के बावजूद बच्चों को पढ़ाने, देश के ‘विजन-2020’ के लिए प्रेरणा देने के लिए उनके बीच ही बालसुलभ तरीके से अधिक समय लगाने वाले, वास्तविक अर्थों में सच्चे भारतीय, मां भारती के सच्चे सपूत, चमत्कारिक प्रतिभा के धनी, ज्ञान-विज्ञान व प्रौद्योगिकी के साथ ही कला, साहित्य, संस्कृति के साथ ही संगीत के प्रेमी, मानवता के पोषक, देश को स्वदेशी सैन्य ताकत से युक्त करने वाले ‘मिशाइल मैन’, ‘रामेश्वरम के कलाम’ को कदाचित पहली बार नैनीताल के बच्चों ने ही ‘काका कलाम’ नाम से पुकारा था। यहां डा. कलाम से सेंट मेरीज कान्वेंट हाई स्कूल में नौ अगस्त 2011 को बच्चों ने घंटे के वार्तालाप में उनसे ढेरों प्रश्न पूछकर अपने बालमन की अनेक जिज्ञासाएं भी शांत की थीं।
27 अगस्त 2015 को शिलांग में बच्चों को पढ़ाते हुए दिवंगत हुए बच्चों के प्यारे ‘काका कलाम’ 9-10 अगस्त 2011 को नैनीताल में बच्चों के बीच थे। यहां उन्होंने नगर के सेंट मेरी कांन्वेंट स्कूल में बच्चों को संबोधित किया व उनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। यहां कलाम आये तो निर्धारित समय से एक घंटे बाद, लेकिन बच्चों के बीच ऐसे रमे कि पता ही नहीं चला कि कब निर्धारित से आधा घंटा अधिक समय बीत गया। यहां उन्होंने बच्चों के न केवल सवालों के जवाब दिये, वरन एक शिक्षक या बुजुर्ग से अधिक उन्हें जीवन की दीक्षाएें भी दीं। अपने वक्तव्य की शुरुआत उन्होंने बच्चों में यह विश्वास भरते हुऐ कि बच्चों में बड़ी महानता छुपी है, बच्चों को बताया कि कैसे बड़े लक्ष्यों को, कड़ी मेहनत से अच्छी पुस्तकों का लगातार अध्ययन करके ज्ञान को स्वयं में समाहित कर, उसका प्रयोग देश-समाज की समस्याओं को दूर करके महानता हासिल की जा सकती है। उन्होंने बच्चों से कहा, हमेशा ‘मुझे कुछ लेना है’ के बजाय’ मुझे देश को कुछ देना है’ का भाव रखें। भ्रष्टाचार की खिलाफत अपने घर से अपने पिता को प्रेरित करके करें तो यह समस्या स्वत: समाप्त हो जाऐगी। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुऐ कहा कि प्राथमिक शिक्षा का रचनात्मक होना जरूरी है। शिक्षकों व पाठ्य सामग्री को भी रचनात्मक बनाना होगा, कक्षाओं लिये इसके।
अपनी पुस्तक ‘विंग्स ऑफ फायर’ का उद्धृत करते हुए उन्होंने बच्चों में यह विश्वास जगाया कि वह क्षमता, अच्छाई, विश्वास और सपनों सरीखे विचारों के पंखों के साथ पैदा हुऐ हैं, न कि रोने के लिये, क्योंकि उनमें पंख हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान व्यक्ति को रचनात्मक बनाता है। लेकिन इसके लिये विचारों में रचनात्मकता और चरित्र की सुंदरता, घर का अच्छा माहौल होने चाहिऐ, तभी ज्ञान दुनिया में शांति ला सकता है। देश के ‘विजन -2020’ पर उन्होंने कहा कि जहां 70 फीसद ग्रामीणों का उत्थान हो, उन्हें ऊर्जा व साफ पानी मिले तथा सामाजिक व आर्थिक कारणों से किसी को शिक्षा लेने से न रोका जाऐ, भ्रष्टाचार, गरीबी और खासकर महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध न हों, वह ऐसे भारत की कल्पना करते हैं। उन्होंने खासकर बालिकाओं से निडर, ज्ञानवान, संस्कृतिनिष्ठ व सशक्त बनने का आह्वान किया और विश्वास दिलाया कि महिलाएें सशक्त होंगी तो देश स्वत: विकसित राष्ट्र बन जाऐगा। इससे पूर्व उन्होंने विद्यालय पहुंचने पर सबसे पहले बच्चों से ही हाथ मिलाऐ और फूल ग्रहण किये। बच्चों के शिर पर हाथ रखकर भी उन्होंने आशीर्वाद दिये। ऐसा लगा नहीं कि देश के सर्वाेच्च पद पर बैठा और मिसाइल मैन कहा जाने वाला एक सामने हो युगदृष्टा बच्चों के। तभी तो विद्यालय के भीतर न आ पाऐ स्थानीय बच्चे घरों और सड़क के पार से भी उनके स्वागत में नारेबाजी कर रहे थे।
वहीं अगले दिन कुमाऊं विवि के 11 वें दीक्षांत समारोह में बच्चों को दीक्षोपदेश देते हुऐ कलाम ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वह ग्राहम बेल, सर सीवी रमन, रामानुजम, राइट भाईयों, एडीशन, हार्डी व प्रो. चंद्रशेखर की भांति असंभव कल्पनाएें को पूरा करने की हिम्मत दिखाकर अद्वितीय (यूनीक) बनें, तभी वह मानवीय सीमाओं को तोड़ सकते हैं। कहा कि अद्वितीय बनने के लिये उन्हें जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखने होंगे, लगातार ज्ञानार्जन करना होगा, कठिन परिश्रम करना होगा तथा महान उपलब्धि का अहसास करने के लिये दृढ़ रहना होगा, यदि ऐसा करेंगे तो स्वत: ही आप अद्वितीय बन जाएेंगे। इस दौरान कुमाऊं विवि के 36,711 विद्यार्थियों को उपाधियां तथा स्नातकोत्तर के 26 व स्नातकोत्तर स्तर पर सर्वोच्च अंक प्रदान करने वाले विद्यार्थियों को कुलपति स्वर्ण, रजत व कांश्य तथा चार छात्राओं को गौरा देवी स्वर्ण पदक व दो अन्य पदक प्रदान किये। उन्होंने उपाधि धारकों व पदक विजेताओं से बातचीत भी की।
बताया था आज और कल का अंतर
नैनीताल। दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम ने कहा था कि आज नये तरीके से सोचने की जरूरत है। कल के तरीके से आगे काम नहीं चल सकता। उन्होंने आज और कल में अंतर बताते हुऐ कहा कि कल प्राकृतिक संसाधनों का अर्थ शक्ति, ताकत से होता था, जबकि आज ज्ञान ताकत है। कल पदानुक्रम से सत्ता चलती थी, और तालमेल से काम चलाने का समय है। कल शेयरहोल्डर पहले गिने जाते थे, आज उपभोक्ता पहले गिने जाते हैं। कल नियोक्ता आदेश देते थे आज टीम या समूह निर्णय लेते हैं। कल वरिष्ठता से आपकी स्थिति बतलाई जाती थी, आज आपकी रचनात्मक आपको आगे बढ़ाती है। कल उत्पादक उपलब्धता पर आधारित था, आज प्रतिस्पर्धा महत्वपूर्ण है। कल कीमत अतिरिक्त कारक थी आज कीमत ही सब कुछ है। कल हर कोई प्रतिस्पर्धी था, आज हर कोई उपभोक्ता है तथा कल अवसरवादिता के आधार पर लाभ प्राप्त किये जा सकते थे, जबकि आज कार्य और सफलता मेहनत से ही प्राप्त किये जा सकते हैं।
‘विजन 2020’ में उत्तराखंड को बताई थी उसकी हिस्सेदारी
नैनीताल। डा. कलाम ने देश के विजन-2020 में उत्तराखंड को भी दायित्व सोंपा था। कहा था-इसके लिये उत्तराखंड को अगले नौ वर्षों में प्रति व्यक्ति आय को तीन गुना करना होगा। साक्षरता दर को 9 0 फीसद करना होगा। शिशु मृत्यु दर जो 10 प्रति हजार है, उसे कम करना होगा। पर्यटक राज्य के रूप में देशी पर्यटन को दो एवं विदेशी पर्यटन को तीन गुना करना होगा। राज्य वासियों में अधिक धनार्जन की क्षमता विकसित करनी होगी। ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी सुविधाएें देनी होंगी तथा राज्य की जैव विविधता खासकर जैव ईधन एवं प्राकृतिक औषधियों को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने राज्य से अपने कार्बन उत्सर्जन के बराबर कार्बन सोखकर को ‘कार्बन न्यूट्रल स्टेट’ बनने को भी कहा।
नगर के सेंट मेरीज कान्वेंट हाई स्कूल में नौ अगस्त 2011 को बच्चियों का अभिवादन करते दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम। नगर के सेंट मेरीज कान्वेंट हाई स्कूल में बोलते डा. कलाम।
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