तीन करोड़ प्रवासी उत्तराखंडियों की ‘घर वापसी’ कराएगा आरएसएस !


-प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विदेशों में बसे भारतवंशियों से किए जा रहे आह्वान की तर्ज पर उत्तराखंडियों से किया जाएगा वर्ष में एक सप्ताह अपने गांव आने का आह्वान करते हुए शुरू की ‘मेरा गांव-मेरा तीर्थ’ योजना
-संघ ने इस कार्य हेतु 670 गांवों में तैनात कर दिए हैं संयोजक
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड राज्य की वर्ष 2011 में हुई जनगणना में आबादी एक करोड़ एक लाख 16 हजार 752 है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का दावा है कि इससे तीन गुना उत्तराखंडी पलायन कर चुके हैं। इनमें से 30-35 लाख उत्तराखंडी प्रवासी तो अकेले दिल्ली में ही हैं, जबकि अमेरिका, जापान, यूएई सहित दुनिया भर में फैले हुए हैं। जापान जैसे छोटे देश में भी संघ के अनुसार करीब 35 हजार उत्तराखंडी रहते हैं। संघ अब इन लोगों को वर्ष में कम से कम एक बार सप्ताह भर के लिए अपने मूल गांव वापस लाने का खाका बुन रहा है। इस हेतु संघ ने ‘मेरा गांव-मेरा तीर्थ’ योजना शुरू की है। योजना के तहत प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों में संयोजक तैनात कर दिए हैं, जिन्हें प्रवासियों को गाँव लौटाने के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी दी जा रही है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक डा। हरीश कहते हैं कि पलायन उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या है। इसकी वजह से इस सीमांत राज्य के गांव के गांव खाली हो रहे हैं। इससे देश की सीमाएं भी खाली और सामरिक दृष्टिकोण से कमजोर होती जा रही हैं। पहाड़ को पलायन के अभिशाप से मुक्त कराने के लिए यह पहल की जा रही है। गत दिनों दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस योजना की शुरुआत की है। खास बात यह भी है डा। हरीश ही इस योजना के योजनाकार हैं, और उत्तराखंड से हैं, लिहाजा उत्तराखंड पर इस योजना का सबसे ज्यादा फोकस है। योजना के तहत उत्तराखंड के तीन करोड़ प्रवासियों को पीएम मोदी के भारतवंशियों से अपने विदेश दौरों में किए जा रहे आह्वान की तरह एक सप्ताह के लिए अपने घर आने का आह्वान किया जाएगा। प्रवासी घर आएंगे तो अपने गांव, घर, क्षेत्र को कुछ तो देकर जाएंगे। इससे एक ओर उनके गांवों में पसरा सन्नाटा टूटेगा, और इस पहल के तहत यदि पांच हजार प्रवासी भी गांवों में आए तो उनकी आवाजाही से 10 से 15 करोड़ रुपये की आर्थिकी विकसित होगी। साथ ही वह यहां से कोंदो, झंगोरा, गहत, राजमा, काला भट्ट, मसूर सरीखी पहाड़ी दालों जैसी गांव की वनस्पतियों, दाल, फल, सब्जियांे को वापस ले जाएंगे। इन स्थानीय उत्पादों की खपत बढ़ेगी तो लोग उसका और अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित होंगे, और स्थानीय लोगों का भी गांवों के प्रति लगाव बढ़ेगा।

विकट है उत्तराखंड में पलायन की स्थिति

नैनीताल। वर्ष 2011 के जनगणना के अनुसार पिछले एक दशक में 78 गांव गैर-आबाद हो चुके हैं, और यह संख्या 1143 तक पहुंच गई है की। वहीं इस दौरान राज्य के दो जनपदों, अल्मोड़ा की आबादी 1.73 फीसद और पौड़ी की 1.51 फीसद बढ़ने के बजाए घट गई है, जबकि अन्य पहाड़ी जिलों चमोली, रूद्रप्रयाग, टिहरी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर की आबादी भी पांच फीसद से भी कम की रफ्तार से बढ़ी है, वहीं इसके उल्टे राज्य के मैदानी जिलों, ऊधम सिंह नगर की आबादी 33.40, हरिद्वार 33.16 की, देहरादून की 32 और नैनीताल की आबादी 25 फीसद की रफ्तार से बढ़ी है। जबकि प्रदेश की आबादी के बढ़ने की औसत दशकीय दर 16 और देश की 17 फीसद है। वहीं योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार करीब 9 .3 फीसद की विकास दर वाले राज्य में पहाड़ के करीब 32.8 9 लाख ग्रामीण 17 रुपए से कम में दिन का गुजारा करने को मजबूर हैं। वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो मैदान में आपातकाल में रोगी के डॉक्टर तक पहुंचने के 20 मिनट के औसत समय के मुकाबले पहाड़ पर यह समय 4 घंटा 48 मिनट है। वहीं राज्य के करीब 16 हजार गांवों में 45 हजार से अधिक स्वयं सेवी संस्थाएं कहने भर को कार्य कर रहे हैं।

दुर्गापुर के ‘दुर्ग में कैद आरएसएस

  • बैठक के औपचारिक तौर पर शुरू होने के बाद पहले दिन पिछले वर्ष हुए 70 संघ शिक्षा वर्गों पर हुई चर्चा
  • नेपाल के प्रांत प्रचारक भी हुए शामिल

नैनीताल। नगर के करीब दुर्गापुर स्थित पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार के ‘‘दुर्ग’ में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत सहित देशभर से आए करीब 180 प्रतिनिधियों ने यहां चल रही प्रांत एवं क्षेत्रीय प्रचारकों की शीर्ष बैठक के लिए स्वयं को मानो ‘‘कैद’ कर लिया है। परिंदों के भी पर न मार सकने जैसी कड़ी व्यवस्था के बीच बंद कमरों में संघ नेता हिंदुत्व एवं राष्ट्रत्व पर चर्चा कर रहे हैं।बैठक में संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी, सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी, कृष्ण गोपाल व दत्तात्रेय होसबोले के साथ ही भाजपा के महामंत्री संगठन रामलाल, शिव प्रकाश, उत्तराखंड के प्रांत प्रचारक डा. हरीश, सह प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय प्रचारक आलोक सहित देशभर से आए प्रांत एवं क्षेत्र प्रचारकों के बीच बैठक के पहले दिन संघ शिक्षा वर्ग के पिछले वर्ष भर में चले कार्यक्रमों पर र्चचा हुई। बैठक में नेपाल के प्रांत प्रचारक रवित व वेदप्रकाश भी शामिल हो रहे हैं।बताया गया कि गत वर्ष 70 संघ शिक्षा वर्ग आयोजित हुए। बैठक में इनकी समीक्षा, मूल्यांकन और आगे के कार्यक्रमों पर र्चचा हुई। पिछले वर्ष से संघ शिक्षा वर्ग के कार्यक्रमों में बदलाव किए गए थे। खासकर 13 से 40 वर्ष के युवाओं के लिए सप्ताहभर के जिला स्तरीय शिक्षा वर्ग आयोजित हुए, जिनमें आने वाले नए सदस्यों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई। दो वर्ष पूर्व ऐसे शिक्षा वगरे में करीब 80 हजार सदस्य आते थे, जबकि इस वर्ष सवा लाख के करीब युवा इनमें शामिल हुए। इन शिक्षा वगरे के बाद ही युवाओं को शाखाएं चलाने का दायित्व मिलता है। बाद में शाखा चलाने वाले स्वयंसेवकों के लिए 20 दिन के कैंप तथा उत्तरोत्तर अन्य कैंप होते हैं, जिनमें लगातार संख्या बढ़ रही है। इस बात पर मंथन हुआ कि संघ के प्रति समाज में जो समर्थन बढ़ रहा है, उसे कैसे सकारात्मकता की ओर लाकर हिंदुत्व और देश के काम में लगाया और प्रेरित किया जाए। संघ के वर्ग कम आयोजित होने पर भी बैठक में चिंता जताई गई है।

मोदी सरकार के बचाव को लेकर ऊहापोह में संघ

  • संघ की अनौपचारिक बैठकों का सिलसिला शुरूददुर्ग में तब्दील हुआ,
  • दुर्गापुर अभिसूचना इकाइयों और सुरक्षा में तैनात राज्य पुलिस के जवानों को भी कार्यक्रम स्थल के गेट के बाहर किया

नैनीताल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इन दिनों अजीब कशमकश में फंसा हुआ है। चिंता इस बात को लेकर है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार तो बन गई, मगर सबको साथ लेकर चलने की मजबूरी में सरकार अपनी पितृ संस्था के साथ अपेक्षित न्याय नहीं कर पा रहा है, उलटे विवादों के चक्रव्यूह में लगातार फंसते जा रही है।विपक्ष खासकर कांग्रेस केंद्र के साथ ही एक-एक कर भाजपा नेतृत्व वाली सभी राज्य सरकारों को विवादों में शामिल बताने में कमोबेश सफल हो रही है। ऐसे में संघ क्या करे। भाजपा को बैकफुट पर जाने से रोकने के लिए स्वयं आगे आए कि नहीं। यह वे कशमकश के सवाल हैं जिन पर मुख्यालय के निकटवर्ती पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार दुर्गापुर में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत एवं सर कार्यवाह व सह कार्यवाह स्तर के नेताओं की अनौपचारिक तौर पर शुरू हो गई बैठकों में छाए हुए हैं। यूं संघ ने दुर्गापुर में हो रही बैठक स्थल को दुर्ग में तब्दील कर दिया है। अभिसूचना इकाइयों के साथ उत्तराखंड पुलिस के जवानों को भी कार्यक्रम स्थल के गेट के बाहर कर दिया गया है, जबकि मीडिया कर्मियों को गेट के पास से ही ‘‘टरकाने’ की व्यवस्था की गई है। कार्यक्रम की व्यवस्थाओं में स्थानीय स्वयंसेवकों को केवल चाय-पानी, भोजन अथवा बाहरी प्रदेशों से आ रहे प्रांत व क्षेत्रीय प्रचारकों की व्यवस्थाएं करने तक के कायरे में सीमित किया गया है। इससे कई कार्यकर्ता क्षुब्ध भी हैं। सूत्र बता रहे हैं कि संघ इस बात से चिंतित है कि संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाली सरकार के कार्यकाल में देश व हिंदुत्व की संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाने के अपेक्षित लक्ष्य पूरे नहीं हो पा रहे हैं,और नई चुनौतियां सिर उठाती जा रही हैं। उधर, बैठक के लिए कमोबेश सभी राज्यों के प्रांत व क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गापुर पहुंच गए हैं। छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों के प्रांत व क्षेत्र प्रचारकों ने सोमवार को मुख्यालय नैनीताल का भी भ्रमण किया। 

मोहन भागवत ने किया ज्योति स्वरूप भवन का लोकार्पण

नैनीताल। आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार में विद्यालय की स्थापना के दौर में विभाग और क्षेत्र प्रचारक रहे तथा स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाने वाले ज्योति स्वरूप के नाम से एक भवन का लोकार्पण किया। इस भवन में आधुनिक आईटी लैब के साथ स्काउट, एनसीसी व एनएसएस तथा संगीत विभाग के कक्ष हैं। लोकार्पण के अवसर पर संघ के सर कार्यवाह भैया जी जोशी, सह कार्यवाह सुरेश सोनी, दत्तात्रेय घोसबोले, डा. किरण गोपाल, विद्यालय की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष डा. एपी सिंह व प्रधानाचार्य डा. किशनवीर सिंह शाक्य आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे।

2017 चुनाव : संघ की सर्वोच्च प्राथमिकता में होगा उत्तराखंड

  • राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 90 वर्ष के इतिहास में पहली बार अखिल भारतीय प्रांत प्रचारकों की बैठक नैनीताल में आयोजित
  • अक्टूबर में हरिद्वार में संघ की दूसरी शीर्ष अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक उत्तराखंड के हरिद्वार में प्रस्तावित
    नवीन जोशी, नैनीताल। वर्ष 1925 में अपनी स्थापना से हिंदू समाज के उत्थान के लिए संघर्षरत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए उत्तराखंड शीर्ष प्राथमिकता में आ गया है। गंगा-यमुना के उद्गम व ऋषि-मनीषियों के दौर से देश-दुनिया को वेद-पुराणों व धर्म की दीक्षा देने वाले राज्य उत्तराखंड में आरएसएस ने अपनी स्थापना के 90 वर्षो के इतिहास में पहली बार अपनी दोनों शीर्ष बैठकें उत्तराखंड में रखकर इसका संकेत दे दिया है। संघ की शीर्ष अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक उत्तराखंड के नैनीताल में 21 से 24 जुलाई तक आयोजित हो रही है, जबकि आगे अक्टूबर में दूसरी शीर्ष अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक भी उत्तराखंड के हरिद्वार में प्रस्तावित कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में वर्ष 2017 में विधान सभा चुनाव होने हैं, लिहाजा संघ की दो प्रमुख बैठकों को पहली बार एक साथ उत्तराखंड में रखने के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
    इन बैठकों में देश की राजनीति पर तो चर्चा होगी ही, पर राज्य में बैठकर प्रदेश की राजनीति की बात नहीं होगा, कहना बेमानी होगा। यह अलग बात है कि जाहिर तौर पर 2017 में किसी तरह का राजनीतिक लाभ लेने की बात भले न हो, लेकिन संघ अपने एजेंडे को राज्य के राजनीतिक दलों के बीच जरूर आगे बढ़ाएगा। इसका इशारा होना भी प्रारंभ हो गया है। कांग्रेस सरकार ने राज्य में हरेला महोत्सव व मेरे बुजुर्ग-मेरे तीरथ नाम की जो धर्म-संस्कृतिसे जुड़ी योजनाएं शुरू की हैं, संघ के लोग उसे संघ की विचारधारा का आगे बढ़ना बता रहे हैं। साफ है कि इस तरह सत्तारूढ़ दल के साथ विपक्ष पर भी संघ दबाव बनाने और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जन दबाव बनाने जैसा प्रयास भी करेगा तो आश्चर्य न होगा।

सरसंघचालक मोहन भागवत बैठक से दो दिन पहले नैनीताल पहुंचे

नैनीताल। नैनीताल के पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार दुर्गापुर में 21 जुलाई से शुरू हो रही अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक कितनी महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संघ के शीर्ष-सरसंघचालक मोहन भागवत बैठक से दो दिन पूर्व रविवार सुबह यहां पहुंच गए। आगे उनका बैठक के एक दिन बाद यानी 25 जुलाई की शाम लौटने का कार्यक्रम है। उल्लेखनीय है कि मोहन भागवत का उत्तराखंड से पूर्व से ही लगाव रहा है। वह पूर्व में सह सरसंघचालक रहते अल्मोड़ा व सर सरसंघचालक बनने के बाद पिछले वर्ष यहीं दुर्गापुर में आ चुके हैं। कार्यक्रम से जुड़े लोगों के अनुसार भागवत को नैनीताल में इन दिनों बरसात के मौसम में स्थितियां खराब होने का भय दिखाया गया था, पर इसके जवाब में मोहन भागवत का दिलचस्प जवाब था कि जब लोग वहां रह रहे हैं, तो उन्हें आने में क्या दिक्कत हो सकती है। जैसे लोग वहां रह रहे हैं, वैसे ही वह भी रह लेंगे। बताया गया है कि भागवत यहां आकर कार्यक्रम के मीनू में शामिल भट की चुड़कानी, रस भात, लिंगुड़े की सब्जी व झुंगरे का भात जैसे ठेठ कुमाऊंनी व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं। गौरतलब है कि उनसे पूर्व केसी सुदर्शन और रज्जू भैया यहां सरसंघचालक रहते आने वालों में शामिल रहे हैं।

कोश्यारी और पंत ने लगाई हाजरी

नैनीताल। आरएसएस पूर्णतया गैर राजनीतिक संगठन है, परंतु भाजपा से उसकी नजदीकी किसी से छुपा नहीं है। लिहाजा संघ की शीर्ष अखिल भारतीय बैठक के यहां होने के नाते भाजपा नेताओं का भी यहां आना-जाना लगा रह सकता है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री प्रकाश पंत शनिवार की शाम व्यवस्थाओं का जायजा लेकर यहां से लौट चुके हैं, जबकि सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने रविवार सुबह आकर सर सरसंघचालक से आशीर्वाद लेने के लिए हाजरी लगा दी है।

प्रदेश सरकार को मिल सकती है सराहना

नैनीताल। भले प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई ‘‘मेरे बुजुर्ग-मेरे तीर्थ’और हरेला महोत्सव जैसे लोक संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों की विपक्षी भाजपा आलोचना कर रही हो, मगर इन योजनाओं पर आरएसएस से राज्य सरकार को सराहना मिल सकती है। संघ के सदस्यों का कहना है कि संघ का एजेंडा हिंदुत्व का यानी हिंदू समाज के उत्थान का एजेंडा है। कोई पार्टी उसके एजेंडे को आगे बढ़ाए, इससे संघ को परहेज नहीं होता। वरन संघ चाहता है कि हर पार्टी उसकी विचारधारा को आगे बढ़ाए। उत्तराखंड में संघ ने हरेला लोकपर्व से 25 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है। राज्य सरकार ने हरेला महोत्सव से संघ के इस अभियान को आगे बढ़ाने का ही कार्य किया है, इसलिए आश्र्चय न हो, यदि अखिल भारतीय प्रांतीय प्रचारक बैठक में इसका जिक्र आने पर राज्य सरकार की सराहना ही की जाए।

भाजपा के राम माधव, सुरेश सोनी व रामलाल भी पहुचेंगे बैठक में

नैनीताल। आरएसएस की 21 जुलाई से आयोजित अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के लिए सरसंघचालक मोहन भागवत के अलावा सर कार्यवाह भैयाजी जोशी नैनीताल पहुंच चुके हैं। उनके अलावा बैठक में सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी व कृष्ण गोपाल के अलावा भाजपा महामंत्री संगठन राम लाल, केंद्रीय मंत्री राम माधव, उत्तराखंड के पूर्व प्रांत प्रचारक शिव प्रकाश व सौदान सिंह आदि नेता, प्रांत प्रचारक डा. हरीश रौतेला, सह प्रांत प्रचारक युद्धवीर सहित संघ के किसान संघ, मजदूर संघ, विद्या भारती, बनवासी कल्याण आश्रम जैसे करीब दो दर्जन आनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारी व प्रांत एवं क्षेत्रीय प्रचारकों सहित 180 शीर्ष पदाधिकारियों के पहुंचने और बैठक में भाग लेने की उम्मीद है।

आर्गनाइजर आरएसएस का मुखपत्र नहीं: संघ

-आरएसएस ने राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच के इफ्तार पार्टी के कार्यक्रम से भी पल्ला झाड़ा
-कहा-संघ के प्रति आम जन-मानस में बढ़ रहा है समर्थन
नैनीताल। देश-दुनिया आर्गनाइजर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र के रूप में और राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच को संघ के आनुशांगिक संगठन के रूप में ही जानती है, लेकिन संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डा। मनमोहन वैद्य ने इससे इंकार किया है। डा। वैद्य ने ऑर्गनाइजर में छपे आईआईटी व आईआईएम के हिंदू विरोधी होने संबंधी लेखों के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में साफ तौर पर कहा कि आर्गनाइजर संघ का मुखपत्र नहीं है। साथ ही सफाई भी दी कि विवादास्पद लेख आर्गनाइजर में संपादकीय के रूप में नहीं वरन किसी बाहरी लेखक के लेख के रूप में छपा है। इससे संघ का कोई लेना-देना वहीं है। वहीं आईआईटी व आईआईएम पर संघ के मत के बारे में पूछे गए सवाल का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। कहा-यह विषय अभी नहीं है। वहीं राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच के इफ्तार पार्टी के कार्यक्रम संबंधी प्रश्न पर पर डा। वैद्य ने कहा कि इफ्तार पार्टी का कार्यक्रम राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच का कार्यक्रम है, संघ का नहीं। हालांकि उन्होंने इस बात से इंकार नहीं किया कि राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच आरएसएस का आनुशांगिक संगठन है। और कहा कि उस कार्यक्रम में संघ के लोग गए हो सकते हैं।
डा. वैद्य मंगलवार को पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार में चल रहे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांतीय व क्षेत्रीय प्रचारकों की बैठक के कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। कार्यक्रम के बारे में उन्होंने बताया कि इसमें किसी तरह की रणनीति नहीं बन रही, वरन चल रही योजनाओं की समीक्षा की जा रही है। कहा कि संघ एवं उसके कार्यक्रमों की आम जनमानस में स्वीकार्यता और समर्थन बढ़ रही है। दो वर्ष पूर्व तक संघ के प्राथमिक शिक्षा वर्गों में 13 से 40 वर्ष के करीब 80 हजार युवा आते थे, जो कि अब सवा लाख तक पहुंच गए हैं। प्रथम व द्वितीय वर्ष के शिक्षा वर्गों में भी शिक्षार्थियों की संख्या 17 हजार से बढ़कर 1 9 हजार हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने अक्टूबर माह में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक हरिद्वार के बजाय रांची में होने की बात भी कही। इस मौके पर प्रांत कार्यवाह लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, प्रांत प्रचारक डा। हरीश, तेज सिंह बिष्ट, पूरन बिष्ट, राजेंद्र सिंह, डा। पंकज शुक्ला, माधव त्रिपाठी आदि कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

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