कुदरत सूखाताल को भरने और प्रशासन सुखाने पर आमादा


– प्रशासन पंप लगाकर खाली करा रहा झील को
नवीन जोशी, नैनीताल। वर्षभर पानी से विहीन सूखाताल झील को पुनर्जीवित करने के प्रति उत्तराखंड उच्च न्यायालय की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन झील में पंप लगाकर पानी बाहर निकलवा रहा है। इन दिनों हुई भारी बरसात के कारण झील के किनारे बने घरों के साथ झील के बीच में बना जल संस्थान का पंप हाउस व एडीबी का स्टोर भी पानी में डूब गया है। खतरे को भांपते हुए जिला प्रशासन ने पंप चलाकर झील से पानी बाहर निकालना प्रारंभ कर दिया। उल्लेखनीय है कि सूखाताल झील, विश्व प्रसिद्ध नैनी झील की सबसे बड़ी प्राकृतिक जल प्रदाता है। आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट के अनुसार नैनी झील में सर्वाधिक 53 फीसद पानी जमीन के भीतर और 24 फीसद सतह से भरकर यानी कुल 77 फीसद पानी आता है। लिहाजा सूखाताल झील का भरे रहना विशेष महत्व रखता है। पूर्व में भी सूखाताल झील भरती थी और सितंबर तक पानी से भरी रहती थी और अगले वर्ष मार्च-अप्रैल तक इसका पानी रिस-रिस कर नैनी झील में पहुंचता था, जिससे नैनी झील में पानी की मात्रा बनी रहती थी।
इस कारण झील के किनारे बने दर्जन भर घरों के साथ जल संस्थान द्वारा झील के बीच में बनाए गए पंप हाउस व एडीबी का स्टोर भी पानी में डूब गया है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने पंप चलाकर झील से पानी बाहर निकालना प्रारंभ कर दिया है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों नैनीताल नगर से अतिक्रमण हटाने का माध्यम बनी प्रो. अजय रावत की याचिका मूलतः सूखाताल झील की परिधि में हुए अनाधिकृत निर्माणों को हटाने और झील को पुर्नर्जीवित करने को लेकर ही है, और इस याचिका पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बेहद कड़ा एवं नगर के पर्यावरण प्रेमियों के लिहाजा से अपेक्षित रुख अपनाया है, लेकिन झील के हालात यथावत बने हुए हैं।
 
फिर बारिश का सर्वोच्च रिकार्ड टूटने के आसार
-15 अगस्त को हुई 213 मिमी बारिश, झील उच्चतम स्तर तक भरने के बाद पूरे 15 इंच खोलने पड़े झील के गेट
वर्ष 2010, 11 और 2013 में बना बारिश का रिकार्ड लगता है कि इस बार अगस्त में ही टूट जाएगा। बारिश का सर्वोच्च रिकार्ड वर्ष 2010 में 4,289.55 मिमी का था। 2011 में 16 अगस्त तक 3,644.64 मिमी, 2013 में 3685.54 मिमी बारिश हुई थी, जबकि इस वर्ष इसी तिथि तक 3300.74 मिमी हो चुकी है। ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि इंद्रदेव कहीं रिकार्ड तोड़ने के लिए शेष करीब 900 मिमी बारिश भी इसी माह में न कर दें। शनिवार को नैनी झील का पानी नियंतण्र कक्ष के पैमाने पर अंकित सर्वाधिक 12 फीट यानी खतरे का स्तर पार करता हुआ पानी माल रोड के पास तक चढ़ आया। इसके परिणामस्वरूप हालिया दौर में झील के पांचों गेटों को सर्वाधिक 15 इंच तक खोलना पड़ गया।
गौरतलब है कि वर्ष 2010 के सितंबर महा में आई ‘जलप्रलय’ के बाद मुख्यालय में सर्वाधिक वर्षा का रिकार्ड बना था। झील नियंत्रण कक्ष के अनुसार तब आज की तिथि यानी 16 अगस्त तक 2,153.15 मिमी बारिश हुई थी, लेकिन इस वर्ष 16 अगस्त की सुबह तक 3,300.7 मिमी बारिश हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि नगर में बीते 24 घंटों में 213.36 मिमी एवं इससे पूर्व 14 अगस्त को 109.22 मिमी बारिश हुई। नगर में गत जुलाई माह तक 1788.16 मिमी बारिश हुई थी, जबकि इस माह एक पखवा़े में रिकार्ड 1512.58 मिमी बारिश हो चुकी है।