नैनीताल राजभवन की ‘तीसरी ठौर’ भी खतरे में


Rashtriya Sahara News 28 September 2014 Page-1

हालिया बारिश में निहाल नाले के साथ वन क्षेत्र के कक्ष आठ की ओर हुआ बढ़ा भूस्खलन
-हर वर्ष औसतन 10 मीटर बताई जा रही भूस्खलन की गति, 200 मीटर तक का क्षेत्र समा चुका है निहाल नाले में
नवीन जोशी, नैनीताल। कमजोर भूगर्भीय संरचना के नगर नैनीताल में राजभवन को इतिहास में तीन बार बदलना पड़ा है। 1901 में स्थापित मौजूदा राजभवन में जहां एक ओर सौंदर्यीकरण के कार्य चल रहे हैं, वहीं इसका निहाल नाले की ओर से आधार लगातार खिसकता जा रहा है। इसके खिसकने की दर औसतन 10 मीटर प्रति वर्ष तक बताई जा रही है, और यह राजभवन के मुख्य भवन से करीब 200 मीटर दूर गोल्फ कोर्स के भंडारी पैविलियन तक पहुंच गया है, जबकि गोल्फ कोर्स के चारों ओर से गुजरने वाली रिंग रोड का करीब 20 मीटर हिस्सा और शौचालय निहाल नाले में समा चुका है। इधर नया खतरा राजभवन के पास के वन क्षेत्र में कक्ष संख्या आठ की ओर से बढ़ा है, जहां हाल की बारिश में बड़ा भूस्खलन हुआ है। कई पेड़ इसकी चपेट में आकर ढह चुके हैं। दूसरी ओर निहाल नाले में नैनीताल बाईपास के पास 1960 से प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बकायदा अवैधानिक तरीके से खनन के जरिए लाखों रुपए के खनिजों की चोरी प्रारंभ हो गई है।

उल्लेखनीय है कि नैनीताल का राजभवन पूर्व में वर्तमान शेर का डांडा क्षेत्र में किराए के भवन में रहा। बाद में इसे सेंट लू गार्ज में वर्तमान केएमवीएन के पर्यटक आवास गृह में स्थापित किया गया, लेकिन 1866 व 1869 में आल्मा पहाड़ी पर आए बड़े भूस्खलनों के कारण राजभवन की दीवारों में भी दरार आने की वजह से 1897-1899 के बीच वर्तमान स्थान पर सर्वाधिक सुरक्षित मानते हुए बकिंघम पैलेस की प्रतिकृति के रूप में गौथिक शैली में निर्मित किया गया था। लेकिन यहां भी राजभवन सुरक्षित नहीं रहा। नैनीताल नगर को जहां एक ओर से बलियानाला खोखला कर रहा है, वहीं दूसरी ओर राजभवन का आधार निहाल नाले में समाता जा रहा है। वन क्षेत्राधिकारी कैलाश चंद्र सुयाल के अनुसार यह दर औसतन 10 मीटर प्रति वर्ष की है। राजभवन की दक्षिणी दिशा में करीब 200 मीटर तक का इलाका, राजभवन गोल्फ कोर्स के पूर्व राज्यपाल रोमेश भंडारी के नाम वाले भंडारी पैविलियन तक भूस्खलन की जद पहुंच चुकी है, जबकि गोल्फ कोर्स की रिंग रोड का करीब 20 मीटर हिस्सा और शौचालय निहाल नाले में समा चुका है। ‘राष्ट्रीय सहारा’ ने रविवार को इस पूरे क्षेत्र का जायजा लिया। इस पर पता चला कि राजभवन की पश्चिमी दिशा की ओर वन क्षेत्र के कक्ष संख्या आठ में हालिया बारिश के साथ बड़ा भूस्खलन हुआ है, इसकी अभी विभागीय अधिकारियों को भी खबर नहीं है।

नैनीताल बाईपास बना राजभवन का दुश्मन, खनन तस्करों का स्वर्ग

Rajbhawan Land Slide (3)
नैनीताल राजभवन के आधार निहाल नाले में बाईपास के पास हो रहा अवैध खनन

नैनीताल। नैनीताल राजभवन के पीछे निहाल नाले की ओर की पहाड़ी हमेशा से कमजोर भूगर्भीय संरचना वाली है। 70 से 80 अंश के बेहद तीक्ष्ण ढाल और बेहद कमजोर क्षणभंगुर प्रकृति के पत्थरों युक्त इस पहाड़ी पर हवा के जोर से भी भूस्खलन होता रहता है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इसे बलियानाला के साथ नैनीताल की सबसे कमजोर कड़ी बता चुका है। बावजूद लोनिवि ने इसी बेहद खतरनाक क्षेत्र से नगर के लिए बाईपास का निर्माण किया है। ताजा खबर यह है कि यह नैनीताल बाइपास नैनीताल राजभवन का दुश्मन और खनन तस्करों का स्वर्ग बन गया है। बाईपास पर जिस स्थान पर निहाल नाले पर पुल का निर्माण किया जा रहा है, वहां बड़े पैमाने पर दर्जनों की संख्या में नेपाली-बिहारी मूल के मजदूरों और जेसीबी जैसी मशीनें लगाकर दिन-रात खनन किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में बहुत ही उम्दा गुणवत्ता की रेता-बजरी मिलती है। पूर्व में यहीं की रेता-बजरी से नैनीताल व आसपास के क्षेत्रों में भवन निर्मित हुए हैं, लेकिन 1960 में यहां से खनन को पूर्णतया प्रतिबंधित किया जा चुका है। बावजूद खनन होने से राजभवन की ओर हो रहे भूस्खलन की गति के और अधिक तेजी से बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बाबत नैनीताल डीएम से संपर्क करने की कोशिष की गई, लेकिन उनका फोन नहीं उठा।

दो वर्ष से शासन में धूल फांक रहा राजभवन की सुरक्षा को 38.7 करोड़ का प्रस्ताव

नैनीताल। वर्ष 2012 में प्रदेश के राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने नैनीताल राजभवन में नगर एवं राजभवन की सुरक्षा के मद्देनजर नगर के गणमान्य व जानकार लोगों तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक ली थी। जिसके बाद तेज गति से दौड़े लोनिवि ने राजभवन की सुरक्षा के लिए 38.7 करोड़ सहित नगर की सुरक्षा के लिए कुल 58.02 करोड़ के प्रस्तावों शासन में भिजवाया था। यह धनराशि राजभवन की सुरक्षा के लिये निहाल नाले के बचाव कार्यों पर खर्च होनी थी। लोनिवि की रिपोर्ट में नैनीताल राजभवन से लगे गोल्फ कोर्स के दक्षिणी ढाल की तरफ 20-25 वर्षों से जारी भूस्खलन पर भारी चिंता जताते हुऐ इस नाले से लगे नये बन रहे नैनीताल बाईपास से गोल्फ कोर्स तक की पहाड़ी की प्लम कंक्रीट, वायर क्रेट नाला निर्माण, साट क्रीटिंग व रॉक नेलिंग विधि से सुरक्षा किये जाने की अति आवश्यकता बताई गई है, लेकिन अब तक इन प्रस्तावों पर कुछ भी नहीं हुआ है।

नैनीताल राजभवन के पास हो रहे भारी भूस्खलन सम्बन्धी कुछ और चित्र :

6 Comments

टिप्पणी करे

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.