क्यों ना पहाड़ों पर बुलडोजर चला दें : हरीश रावत


नवीन जोशी नैनीताल। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में यह टिप्पणी की। कहा, अधिकारियों-कर्मचारियों को सरकार गाड़ी और बंगले उपलब्ध कराने के साथ पहाड़ भेज रही है, और वह आदेश पाकर ऐसे प्रतिक्रिया कर रहे हैं, मानो किसी ने उनके मुंह में नींबू डाल दिया हो। उन्होंने इसे राज्य की सबसे बड़ी परेशानी और इस समस्या से निपटने को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए टिप्पणी की-ऐसे में मन में आता है कि पहाड़ों पर बुलडोजर चलाकर उन्हें भी मैदान कर दिया जाए। तभी पहाड़ों का विकास हो पाएगा।

पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के लिए इससे बड़ा दर्द क्या हो सकता है कि जिन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों की दुरूह समस्याओं के समाधान के लिए वह करीब डेढ़ सदी के संघर्ष के बाद निर्मित हुआ, उसके रहने वाले न केवल उसे ही छोड़कर साधन संपन्न मैदानों की ओर भाग रहे हैं। और राज्य ने जिन्हें सुविधा संपन्न बनाया, वह भी पीछे देखने और पीछे छूट गए लोगों को आगे साथ लाने के प्रति बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं।

बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में रावत ने कहा कि प्रबुद्ध जनमत के बीच अपने दिल के सबसे बड़े दर्द को बयां कर रहे हैं। वह केंद्र में दूसरे दल की सरकार होने, राज्य की आर्थिक स्थिति बेहतर न होने जैसी स्थितियों के बावजूद संसाधनों का विस्तार करने की चुनौतियों से आसानी से निपटने का माद्दा रखते हैं, लेकिन अपने ही लोगों को पहाड़ पर समस्त सुविधाओं के साथ भेजने में परेशानी महसूस कर रहे हैं। राज्य ने चिकित्सकों के लिए देश में सर्वश्रेष्ठ ऐसी नीति तैयार की है, जिसके तहत केवल दो वर्ष पहाड़ के दुर्गम स्थानों पर सेवाएं देने वाले चिकित्सकों को आगे उनकी मन-मांगी जगह पर तैनाती देने की व्यवस्था करने के बावजूद चिकित्सक पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कल्याणकारी राज्य से सबसे अधिक जरूरत वाले वंचित वर्ग के लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार के साथ ही सभी सुविधा संपन्न लोगों का दायित्व है। इससे राज्य को अपनी स्थापना की मूल अवधारणा से जुड़े बुनियादी सवालों का हल करते हुए समावेशी विकासशील राज्य के रूप में आगे बढ़ने की राह में परेशानी आ रही है।

घट गई राज्य की प्रति व्यक्ति आय

उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय पिछले वर्ष के 103349 से घटकर 101172 रह गई है। हालांकि इसके बावजूद उत्तराखंड प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश के शीर्ष सात राज्यों में शामिल है। उल्लेखनीय है कि राज्य की विकास दर इससे पूर्व वर्ष 2012-13 में 92,191 थी। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ही बृहस्पतिवार को यह खुलासा किया। उन्होंने बताया कि राज्य बीते वर्ष आई शताब्दी की सबसे बड़ी आपदा के बावजूद अब भी अपनी विकास दर को छह फीसद बनाए हुए है जबकि देश की औसत विकास पांच फीसद है। गौरतलब है कि बीते वर्ष राज्य की औसत विकास दर उससे पूर्व के वर्ष 2012-13 के 5.61 फीसद से बढ़कर 5.65 फीसद रही थी।

हर वर्ष एक हजार स्वरोजगार तैयार करने की योजना

नैनीताल। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार ने हर वर्ष 1000 लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। इस बाबत अति लघु, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय (एमएसएमई) को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनसे पहाड़ों पर स्थानीय हस्तशिल्प, मिनी टेक्सटाइल पार्क जैसे 100 लघु उद्योग स्थापित करने को भी कहा गया है। उन्होंने बताया कि सरकार की योजना पहाड़ पर सड़कों के कि नारे सराय बनाने तथा पर्वतीय परंपरागत कृषि, दुग्ध उद्योग को बढ़ावा देने की भी है। सरकार अपनी नापभूमि में चारे के वृक्ष लगाने वालों को तीन वर्ष बार प्रति पेड़ 300 रुपये का प्रोत्साहन देगी। पहाड़ पर एक लाख चाल-खाल बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है, इन्हें बनाने के लिए भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। पहाड़ की खेती को बंदरों, सूअरों से रोकने के लिए बाड़ व दीवार बनाने की तथा शहरों में आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए गौशाला जैसा प्रयोग करने की भी योजना है।

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