गुदड़ी के लाल ने किया कमाल, घनमूल निकालने का खोजा फॉर्मूला


Jitendra Joshi-17 वीं शताब्दी में स्कॉटलेंड व स्विटजरलेंड के वैज्ञानिकों द्वारा इसके हल के लिए प्रयोग की जारी वाली 1200 शब्दों की जगह केवल 50 शब्दों की लॉग टेबल खोजने का किया है दावा
नवीन जोशी, नैनीताल। प्रतिभा उम्र सहित कैसी भी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती। कॉलेज की पढ़ाई में लगातार ह्रास की आम खबरों के बीच कुमाऊं विवि के एक बीएससी द्वितीय वर्ष के सामान्य पारिवारिक स्थिति वाले छात्र जितेंद्र जोशी का दावा यदि सही है, तो उसने ऐसा कमाल कर डाला है, जो उससे पहले 17 वीं शताब्दी में स्कॉटलेंड के गणितज्ञ जॉन नेपियर ने 1614 में और स्विटजरलेंड के जूस्ट बर्गी ने 1620 में किया था। इन दोनों विद्वान गणितज्ञों से भी छात्र जितेंद्र की उपलब्धि इस मामले में बड़ी है कि इन विद्वानों ने जो लॉग टेबल खोजी थी, वह करीब 1 9 00 शब्दों की है, लिहाजा उसे याद करना किसी के लिए भी आसान नहीं है, और परीक्षाओं में भी इस लॉग टेबल को छात्रों की सहायता के लिए उपलब्ध कराए जाने का प्राविधान है। जबकि जितेंद्र की लॉग टेबल केवल 50 शब्दों की है। इसे आसानी से तैयार तथा याद भी किया जा सकता है। लिहाजा यदि उसकी कोशिश सही पाई गई तो परीक्षाओं में परीक्षार्थियों को लॉग टेबल देने से निजात मिल सकती है, तथा गणित के कठिन घनमूल आसानी से निकाले जा सकते हैं।

Rashtriya Sahara 8th June 2015
Rashtriya Sahara 8th June 2015

गणित विषय के जानकार और छात्र जानते हैं कि हाईस्कूल, इंटरमीडिएट से लेकर स्नातक और परास्नातक तक की परीक्षाओं में लॉग टेबल से संबंधित प्रश्नों का हल करने के लिए परीक्षा के दौरान भी नेपियर और बर्गी द्वारा तैयार की गई लॉग टेबल उपलब्ध कराई जाती है। लॉग टेबल संभवतया इकलौती चीज हो, जिसे परीक्षा के दौरान परीक्षकों के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। यानी समझा जा सकता है कि यह कितना गंभीर विषय है। इधर जितेंद्र जोशी का दावा है कि उसने कुमाऊं विवि में पढ़ाई से इतर पिछले डेढ़ वर्षों में अपने कड़े प्रयासों से ऐसा फॉर्मूला ढूंढ लिया है, जिसकी मदद से छात्र स्वयं लॉग टेबल तैयार कर सकते हैं। यह लॉग टेबल भी केवल 50 शब्दों की है, जिसे थोड़ा प्रयास से छात्र याद भी कर सकते हैं। पारिवारिक स्थिति की बात करें तो 21 वर्षीय जितेंद्र दो भाई व एक बहन में छोटा है। उसके पिता रमेश चंद्र जोशी निजी पॉलीटेक्निक कॉलेज में प्रयोगशाला सहायक के रूप में कार्य करते हैं। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के मद्देनजर उसकी माता भी आंगनबाड़ी में सहायिका के रूप में कार्य कर घर का खर्च चलाने के लिए हाथ बंटातीं है। वह स्वयं भी ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्चा स्वयं वहन करता है।

इसलिए जरूरत पड़ती है लॉग टेबल की

नैनीताल। किसी संख्या को उसी संख्या से यदि दो बार गुणा किया जाए तो उसे वर्ग, तीन बार गुणा किया जाए जो घन एवं इसी तरह चार, पांच, छह आदि बार गुणा करने पर उस संख्या की घात दो, तीन, चार, पांच आदि बोला जाता है। जैसे दो की घात दो बराबर चार, तीन घात बराबर आठ, चार घात बराबर 16 आदि होता है। इसके उल्टे संख्याओं के वर्ग मूल, घनमूल आदि भी निकालने की जरूरत होती है। आठ का घनमूल दो, 27 का तीन एवं 64 का घनमूल चार होता है। लेकिन यदि आठ से 27 अथवा 27 से 64 के बीच की संख्याओं का घनमूल निकालने का प्रश्न आए तो इसके हल के लिए लॉग टेबल का इस्तेमाल किया जाता है, और बिना लॉग टेबल के ऐसे सवाल हल करने संभव नहीं होते हैं। जितेंद्र का दावा है कि मौजूदा लॉग टेबल से अभी भी 172 9, 2745 व 15,626 जैसी संख्याओं के घनमूल पूरी शुद्धता के साथ नहीं निकल पाते हैं, जबकि उसके फॉर्मूले से ऐसी कठिन संख्याओं के घनमूल भी आसानी के साथ व पूरी शुद्धता के साथ निकालने संभव हो गए हैं। बृहस्पतिवार को जितेंद्र अपनी इस खोज को लेकर कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एचएस धामी से भी मिला तथा उसकी खोज को कोई दुरुपयोग न कर ले, तथा वह अपनी खोज को कैसे ‘बौद्धिक संपदा अधिकार “हासिल करते हुए दुनिया के सुपुर्द करे, इस बारे में बात की है।

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