देश ही नहीं दुनिया के पर्यटन के इनसाइक्लोपीडिया हैं विजय मोहन सिंह खाती


Vijay Mohan Singh Khati
Vijay Mohan Singh Khati

नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, पर्यटन नगरी सरोवरनगरी नैनीताल की पर्यटन संस्था वाईटीडीओ (यूथ टूरिज्म डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) के स्वामी श्री विजय मोहन सिंह खाती को यदि देश ही नहीं दुनिया के पर्यटन का इनसाइक्लोपीडिया या जीता जागता ज्ञानकोष कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। देश-दुनिया के किस शहर में क्या-क्या दर्शनीय है, के साथ ही वहां के दर्शनीय स्थल सप्ताह में किस दिन बंद रहते हैं, और वहां प्रवेश का क्या शुल्क है, यह उन्हें मुंह जुबानी याद रहता है। साथ ही वह बस, टैक्सी या हवाई जहाज से उस स्थान की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार किसी दूरी को तय करने में लगने वाले समय की भी सटीक जानकारी दे सकते हैं।

Nirala Uttarakhand, 1-15 Nov. 2014, Jaipur, Rajasthan.

श्री खाती का ऐसा जीवंत इनसाइक्लोपीडिया बनना किसी दैवीय शक्ति से नहीं वरन उनकी मेहनत से संभव हुआ है। अपने जमाने की राजकपूर अभिनीत सुपर हिट फिल्म ‘अराउंड द वल्र्ड इन एट डॉलर्स” की तर्ज पर ही १९७६ में एक २३ वर्षीय नौजवान विजय अपनी घुमक्कड़ी के जुनूनी शौक की तर्ज पर कुछ सौ रुपए लेकर दुनिया की सैर पर निकल गया था, और विभिन्न देशों में कहीं लिफ्ट लेते हुए तो कहीं, वहीं नौकरी कर जुटाए पैंसों से वह करीब आठ-नौ माह में अफगानिस्तान, ईरान, तुर्की, सीरिया, जॉर्डन, रोम, इटली, यूगोस्लाविया व बुल्गारिया आदि १० देशों की यात्रा कर लौट आए थे। उन दिनों को याद करते हुए श्री खाती बताते हैं कि इस यात्रा से पहले उन्होंने नगर के स्नोभ्यू में सैलानियों की फोटोग्राफी कर खुद पैंसे जुटाए थे। अप्रैल १९७६ में वह दिल्ली से १,२०० रुपए में अफगानिस्तान का आने-जाने का हवाई जहाज का टिकट व वीजा लेकर विश्व यात्रा पर निकले थे। इस दौरान तेहरान व जॉर्डन में उन्होंने कुछ दिन के लिए छोटी-बड़ी नौकरियां भी करनी पडीं।
वापस लौटे तो पिता ने वकालत करने के लिए दबाव बनाया, और अहमदाबाद भेजकर एलएलबी करवा दी, और नैनीताल के जिला न्यायालय में वकालत भी शुरू करवा दी। लेकिन घुमक्कड़ी के जुनूनी विजय के कदम यहां एक-डेढ़ वर्ष ही थम पाए। १९८२ में उन्होंने कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर नैनीताल से पर्यटन में डिप्लोमा कर लिया, और इसके तत्काल बाद नगर में ट्रेवल एजेंसी खोल दी। तब नगर में केवल चार-पांच ही ट्रेवल एजेंसी थीं और उनकी भूमिका केवल रानीखेत और कौसानी के टूर कराने तक सीमित थी। विजय ने अपनी ट्रेवल एजेंसी में पहली बार गाइड रखने की शुरुआत की, जो सैलानियों को घुमाने के साथ ही आसपास के अन्य पर्यटक स्थलों की जानकारी भी देते थे। विजय को ही नगर की आसपास की सुंदर भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल व खुर्पाताल आदि झीलों के लिए ‘लेक टूर” शुरू करने का श्रेय भी जाता है। नैनीताल के लिए दिल्ली से सैलानियों को अधिक लाने के लिए बसें लगवाने की शुरुआत भी उनके दौर में ही हुई। इस प्रकार वह पर्यटन व्यवसाय में हमेशा तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरूप नए-नए प्रयोग करते हुए स्वयं को दौड़ में हमेशा अलग एवं आगे बनाए रहे और नए प्रतिमान स्थापित करते रहे।
इधर हालिया वर्षों में ट्रेवल एजेंसियों का नगर में काम चौपट होने के दौर में उन्होंने स्वयं को देश-दुनिया के टूर आयोजित करने की ओर मोड़ा है। हालांकि इसकी शुरुआत वह १९८३ में ही २५ दिन का ‘भारत भ्रमण” टूर से कर चुके थे। अब वह कमोबेश हर माह कोई बड़ा टूर आयोजित करते हैं। बीते वर्ष उन्होंने हिंदुओं के पवित्र और सबसे बड़े तीर्थ कैलाश-मानसरोवर के लिए भारत के कठिन व लंबी पैदल यात्रा की जगह नेपाल की ओर से बेहद सरल यात्रा की शुरुआत की है, साथ ही हर वर्ष कम से कम एक विदेशी टूर भी आयोजित कर रहे हैं। और आगे उनकी योजना विदेशी यात्राओं को बढ़ावा देने की है।
श्री खाती बताते हैं अनुभव के जरिए प्राप्त इस सफलता का लाभ वह अपने साथी यात्रियों को सस्ती यात्रा के रूप में दे पाते हैं। उनकी यात्राओं की खाशियत यह भी है कि यह केवल एक बस, टैक्सी, ट्रेन या हवाई जहाज से नहीं वरन इन सभी के समन्वय से होती हैं। वह यात्रा की परिस्थितियों को देखते हुए पहले से तय यात्रा माध्यम वाहन का प्रयोग करते हैं, और साथ ही यात्रियों को कम खर्च के बावजूद अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। शायद इसी लिए उनकी पूरी तरह नियोजित यात्राएं अपने मूल खर्च से आधी धनराशि में ही संपन्न हो जाती हैं, और यात्रियों को बेहद सस्ती पड़ती हैं।

दक्षिण भारत की यात्राएं कराएगा वाईटीडीओ

-२६ दिसंबर व १५ जून को रवाना होंगे दल, १६ दिन की यात्रा में घुमाएंगे रामेश्वरम, तिरुपति बालाजी, मद्रास, मदुरई, महाबलीपुरम, कोवलम व मैसूर
नैनीताल। देश की नेपाल के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा कराने वाली गिनी-चुनी संस्थाओं में शुमार एवं नगर की सबसे पुरानी एवं विश्वसनीय टूर ऑपरेटर संस्था वाईटीडीओ ने अब १६ दिन में दक्षिण भारत की यात्रा कराने की योजना बनाई है। आगामी २६ दिसंबर एवं १५ जनवरी को तय इन यात्राओं के जरिए देश-प्रदेश के सैलानी देश के चार धामों में से इकलौते शैव संप्रदाय के धाम रामेश्वरम धाम, देश के सबसे धनाढ्य विष्णु मंदिर के रूप में पहचाने जाने वाले तिरुपति तिरुमला बालाजी, देश के अंतिम छोर पर स्थित तीन समुद्रों-अरब सागर, हिंद महासागर व बंगाल की खाड़ी के मिलन स्थल कन्याकुमारी में समुद्र से गुजरती रेल सेवा के साथ ही अपनी विशिष्ट दक्षिण भारतीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर मदुरई, देश के चार महानगरों में एक मद्रास में मेरिना बीच पर सूर्यास्त का नजारा लेने, कोवलम समुद्र तट, मैसूर के चामुंडा देवी मंदिर व महाबलीपुरम के सुंदर मंदिरों के दीदार भी कर पाएंगे।

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