उत्तराखंड राज्य के प्रतीकों-बुरांश, मोनाल व कस्तूरा से लैस होगा नैनीताल जू


-राज्य वृक्ष बुरांश के बाद शीघ्र यहां दिखाई देंगे राज्य पक्षी मोनाल और राज्य पशु कस्तूरा मृग
-हिमांचल प्रदेश से चीड़ फीजेंट व काला भालू के नर लाए जाने की भी योजना
नवीन जोशी, नैनीताल। जी हां, नैनीताल स्थित भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणि उद्यान यानी नैनीताल जू शीघ्र उत्तराखंड राज्य के तीन प्रमुख प्रतीकों-राज्य वृक्ष बुरांश, राज्य पक्षी मोनाल और राज्य पशु कस्तूरा से लेस होगा। वर्ष 2013 की आपदा में उखड़े मृतप्राय राज्य वृक्षों को यहां रोपने का अभिनव प्रयास किया गया था, जिनमें से कुछ पर इस वर्ष भी फूल खिले हैं, तथा शेष सभी पर अगले वर्ष तक फूल खिलने की उम्मीद है। वहीं राज्य पक्षी मोनाल के इसी माह हिमाचल प्रदेश से यहां पहुंचने के आसार हैं, जबकि राज्य पशु कस्तूरा को बागेश्वर जिले के कस्तूरा मृग प्रजनन केंद्र से यहां लाने की औपचारिकताएं भी शुरू हो गई हैं।

उल्लेखनीय है कि 1995 में स्थापित नैनीताल चिड़ियाघर में वर्ष 2004 से राज्य के प्रतीकों को एक छत के नीचे लाकर सैलानियों के लिए उपलब्ध कराने के प्रयास चल रहे हैं। लेकिन इस कठिन कार्य में सफलता अब जाकर हाथ लगने की संभावना बन रही है। जू में राज्य वृक्ष बुरांश के पेड़ पीछे की ओर यानी उत्तरी ढाल की अपेक्षाकृत कम तापमान वाली पहाड़ी पर ही प्राकृतिक रूप से थे, जहां सैलानी अमूमन नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में 2013 में तत्कालीन डीएफओ व जू के निदेशक पराग मधुकर धकाते ने दक्षिणी ढाल की पहाड़ी पर आपदा में उखड़े पौधों की बजाच बड़े वृक्षों का रोपण करने का प्रयास किया, जिसकी सफलता की संभावना तब कम ही नजर आ रही थी, लेकिन अब यह प्रयोग सफल होता नजर आ रहा है। वहीं इधर जू की वर्तमान निदेशक डा. तेजस्विनी अरविंद पाटिल के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश के प्रजनन केंद्र से उत्तराखंड के राज्य पक्षी मोनाल के एक जोड़े को लाने का प्रयास किया जा रहा है। श्रीमती पाटिल ने उम्मीद जताई कि जल्द ही दो जोड़े नैनीताल जू ले आए जाएंगे। इसके अलावा भी हिमांचल से चीड़ फीजेंट व काला भालू के नर भी लाए जाने की योजना है। उल्लेखनीय है नैनीताल जू में दो काले भालू हैं, पर कम लोग ही जानते होंगे कि दोनों मादा हैं। इनके बदले में नैनीताल जू हिमांचल को गोल्डन फीजेंट व लेडी एम्हस्र्ट के जोड़े लौटाएगा। इसके अलावा बागेश्वर जिले के कस्तूरा मृग प्रजनन केंद्र को नैनीताल जू के अंतर्गत लाने के लिए राज्य मंत्रिमंडल में बीते माह फैसला हो चुका है। श्रीमती पाटिल ने बताया कि घरमघर का केंद्र स्वास्थ्य विभाग के अधीन है, इसे वन विभाग के अधीन लाने के लिए औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।

एक रक्त समूह से होने की वजह से कस्तूरा के नस्ल सुधार की जरूरत

नैनीताल। बताया गया है कि धरमघर स्थित कस्तूरा मृग प्रजनन केंद्र में मौजूद सभी कस्तूरा एक ही परिवार यानी एक ही रक्त समूह से हैं, अर्थात आपस में भाई-बहन हैं। इसलिए वन विभाग के अधिकारी उनके नस्ल सुधार के प्रति चिंतित हैं। नैनीताल जू की निदेशक डा. पाटिल ने कहा कि वहां मौजूद कस्तूरा के नस्ल सुधार के लिए बाहरी समूह से कस्तूरा के नर और मादा लाकर उनके बीच प्रजनन कराने की आवश्यकता है, अन्यथा इनके कभी भी बड़े रोगों की गिरफ्त में आकर पूरी तरह समाप्त होने की संभावना है। प्रयास किए जा रहे हैं कि नैनीताल जू लाने से पूर्व इनके साथ ही बाहरी समूह के कस्तूरा मृगों का प्रबंध भी किया जाए।

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