-विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित याट क्लब भी है नैनीताल
नवीन जोशी, नैनीताल। सरोवरनगरी नैनीताल को यूं ही विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी का दर्जा नहीं मिला हुआ है। यहां ऐसी अनेक खाशियतें हैं, जो दुनिया में अन्यत्र नहीं मिलतीं। नगर की पहचान कही जाने वाली रंग-बिरंगी तितलियों सरीखी पाल नौकाओं की बात करें तो ऐसी नौकाएं दुनिया में केवल इंग्लेंड के शहर ससेक्स की झील में ही मिलती हैं। वहां इनका संचालन नॉरफॉक्स ब्रॉड याट क्लब ससेक्स इंग्लेंड के द्वारा किया जाता है। इसलिए यदि आप नैनीताल में पाल नौकायन का आनंद न ले पाए, तो फिर ऐसा आनंद लेने के लिए आपको इंग्लेंड के शहर ससेक्स ही जाना पड़ेगा।
उल्लखनीय है नैनीताल के याट क्लब को विश्व के सबसे ऊंचे याट क्लब का गौरव भी प्राप्त है। नैनीताल की पहचान पाल वाली नौकाओं यानी याट का इतिहास उस दौर का है, जब दुनिया में ऐसी नौकाओं को विकसित करने की प्रक्रिया ही चल रही थी। सर्वप्रथम नैनी झील में 1880 में मेरठ के तत्कालीन कमिश्नर आईसीएस अधिकारी फ्लीटवुड विलियम्स ने आज के दौर की ‘लिंटन होप हाफ रेटर’ प्रकार की नौकाओं से मिलती जुलती विशाल आकार की ‘स्कूनर’ प्रकार की नाव को क्रेन की मदद से सेंट असेफ्स (St. Asaphs) के पास से नैनी झील में उतारने की बात कही जाती है। आगे एक सैन्य अधिकारी कर्नल हेनरी ने ‘कैटेमेरन’ (Catamaran) प्रकार की दोहरे ढांचे (Double Hulled) युक्त ‘जैमिनी’ नाम की नाव का निर्माण किया। इसी दौर में खेलों के सामान बनाने वाली एक कंपनी ‘मरे एंड कम्पनी’ के द्वारा तीन ‘बेलफ़ास्ट लाफ’ (Belfast Laugh) प्रकार की ‘कोया’ (Coya), ‘डूडल्स’ (Doodles) और ‘डोरोथी’ (Dorothy) नाम की नावें किराये पर लेकर नैनी झील में चलाने की बात भी कही जाती है। लेकिन इसी वर्ष 18 नवम्बर 1880 को आये बड़े महाविनाशकारी भूस्खलन की वजह से यह प्रयास कमजोर पड़ गए।
इसके आगे 1890 में सफेद रंग की ‘कटर टाइप’ पाल नौकाएं औपचारिक तौर पर चलनी शुरू हुई। यह नौकाएं नैनी झील में पल-पल में दिशा बदलने वाली हवाओं के प्रभाव में अक्सर पलट जाया करती थीं, इसलिए लगातार इनकी इस कमी को दूर करने के प्रयास चलते रहे। इसी दौर में 1897 में नगर में ‘नैनीताल सेलिंग क्लब’ की स्थापना हुई। कहते हैं की इस क्लब के पास मशहूर ‘Wave Dee’ सहित ‘skimming Dish’ व ‘Soceres’ सहित अलग-अलग प्रकारों की करीब आधा दर्जन नावें थीं। आगे 1910 में सेना से सम्बंधित दो उद्यमी भाइयों-मेजर सी.डब्लू. कैरे व कैप्टन एफ. कैरे नैनी झील के लिए (One Design) प्रकार की नावों का विचार लेकर आये। उनकी पहल पर पहली तीन इंग्लैंड के कारीगरों के द्वारा ‘लिंटन होप’ प्रकार की नौकाओं का निर्माण हुआ। इस बात के रिकॉर्ड मौजूद हैं कि यह तीनों नावें पहले ही दिन तेज पश्चिमी ‘चीना’ हवाओं की वजह से क्षतिग्रस्त हो गयीं। इसके बाद भी अनेक सुधार होते रहे, और आखिर आज के दौर की ‘लिंटन होप हाफ रेटर’ प्रकार की नावें बन पायीं। कैरे भाइयों की पहल पर ही 1910 में नैनीताल याट क्लब (एनटीवाईसी) की स्थापना हुई। इसी वर्ष बनारस चेलेंज कप पाल नौका दौड़ प्रतियोगिता भी हुई, जो सबसे पुरानी है। तब एनटीवाईसी में मई से अक्टूबर तक सेलिंग यानी पाल नौकायन होता रहता था। जून माह में फेंसी ड्रेस डांस तथा अक्टूबर में सेलर्स डिनर आयोजित होता था। यह जानना भी दिलचस्प होगा कि तब भी यह नौकाएं रंग-बिरंगी नहीं थीं, वरन 1937 में सर्वप्रथम रंग-बिरंगी तितलियों सी नजर आने वाले आज के दौर की पाल नौकाएं झील में आईं।
देश आजाद होने पर कोचीन जाने से इस तरह बची पाल नौकाएं
नैनीताल। अंग्रेजों के दौर में एनटीवाईसी की सदस्यता केवल अंग्रेजों को ही मिल पाती थी। नगर के मौजूदा बोट हाहस क्लब के 1947 में स्थापित होने की कहानी भी कम दिलचस्प नीं है। इसकी स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाने वाले साहनपुर स्टेट (जिला बिजनौर) के राजकुमार गिरिराज सिंह को अंग्रेजों ने नैनीताल याट क्लब की सदस्यता का फार्म देने में ही आनाकानी की थी। तब गिने चुने भारतीय ही इस क्लब के सदस्य होते थे। लेकिन सिंह ने 1945 में किसी तरह सदस्यता हासिल कर ली। बोट हाउस क्लब पर कॉफी टेबल बुक लिखने वाले कमोडोर वीर श्रीवास्तव और राजकुमार सिंह के पुत्र शशि राज सिंह के अनुसार 1947 में देश के आजाद होने के समय नैनीताल याट क्लब की समस्त संपत्ति का सौदा कोचीन के बोट हाउस क्लब से हो गया था, लेकिन राजकुमार गिरिराज सिंह ने क्लब की समस्त संपत्ति खुद खरीद ली, और अंग्रेजों के जाने के बाद इसे क्लब को वापस बिना कोई धनराशि लिए दान कर दिया। साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवार लाल नेहरू से संपर्क कर क्लब को नगर पालिका से जमीन लीज पर दिलवा कर इस पह वर्तमान बोट हाहस क्लब स्थापित किया गया़।
इस बार आएंगी नई पाल, अक्टूबर में होगी राष्ट्रीय स्पर्धा, आम लोग भी कर पाएंगे पाल नौकायन
नैनीताल। अगले एक माह के भीतर नैनी झील में नए रंग-बिरंगे पाल के साथ नई नौकाएं आने जा रही हैं। क्लब के कमोडोर वीर श्रीवास्तव ने बताया कि इन नौकाओं पर अक्टूबर माह में अखिल भारतीय स्तर की सेलिंग रिगाटा यानी पाल नौका दौड़ का आयोजन किया जाएगा। इस स्पर्धा के दौरान देश के नामचीन पेंटर-दिवंगत एमएफ हुसैन के पुत्र शमशाद हुसैन व सुदीप रॉय सहित अन्य अनेक पेंटर नैनी झील व पाल नौकाओं के चित्र बनाएंगे, जिनकी नीलामी से प्राप्त होने वाले धन को उत्तराखंड के गत वर्ष के दैवीय आपदा पी़ितों की मदद के लिए सरकार को दिया जाएगा। साथ ही आम लोग भी पाल नौकाओं की सवारी कर पाएंगे, इस हेतु गर्वर्नर्स बोट हाउस क्लब के पास की भूमि पर पर्यटकों के लिए नई जेटी यानी नौका स्टेंड स्थापित किया जाएगा। क्लब आम बच्चों को पाल नौकायन सिखाने के लिए मुफ्त में सिखाने की शुरुआत भी करने जा रहा है।
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विश्व में केवल ससेक्स में ही हैं नैनीताल जैसी रंग-बिरंगी पाल नौकाएं
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