‘मीथेन सेंसर’ खोलेगा मंगल में जीवन की संभावनाओं का राज


-मंगल यान में भेजा गया मीथेन का पता लगाने वाला उपकरण
नवीन जोशी, नैनीताल। आज धरती पुत्र कहे जाने वाले लाल गृह मंगल पर भारत की मंगल यान की सफलता वहां जीवन की संभावनाओं के राज खोलने की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है। भारत द्वारा मंगल यान में भेजा गया ‘मीथेन प्रोब’ नाम का सेंसर उपकरण इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यही उपकरण बताएगा कि मंगल ग्रह पर मीथेन है अथवा नहीं, और मीथेन गैस का मंगल ग्रह पर मिलना अथवा न मिलना ही तय करेगा कि वहां जीवन संभव है अथवा नहीं।
स्थानीय आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान यानी एरीज के वायुमंडल वैज्ञानिक डा. नरेंद्र सिंह ने बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी नजर मंगल यान में मौजूद ‘मीथेन प्रोब’ नाम के यंत्र पर ही लगी हुई है। यह यंत्र मंगल यान के मंगल ग्रह की कक्षा में परिभ्रमण करने के दौरान उसकी सतह पर मौजूद मीथेन गैस की उपस्थिति का पता लगाएगा। एरीज के कार्यकारी निदेशक डा. वहाब उद्दीन ने भी उम्मीद जताई कि मंगलयान के जरिए मंगल ग्रह पर मीथेन की उपस्थिति से वहां जीवन की संभावनाओं पर पड़ा परदा उठ पाएगा।

मीथेन से ही हुई पृथ्वी में जीवन की उत्पत्ति

नैनीताल। एरीज के वायुमंडल वैज्ञानिक डा. नरेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का सबसे पहला चरण मीथेन गैस की उपस्थिति से ही प्रारंभ हुआ माना जाता है। पृथ्वी में जीवन की उत्पत्ति में सर्वप्रथम मीथेन गैस उत्पन्न हुई। इसके बाद अमीनो अम्ल आए तथा आगे हाइड्रोकार्बनों व पानी के साथ सर्वप्रथम अमीबा, पैरामीशियम जैसे अतिसूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति हुई, और धीरे-धीरे सरीसृपों, स्तनधारियों से होते हुए लंबी विकास यात्रा के बाद मानव जीवन पृथ्वी पर संभव हुआ है। इस प्रकार यदि मंगल पर मीथेन गैस के कोई सबूत मिलते हैं, तभी प्रारंभिक तौर पर कहा जा सकेगा कि वहां जीवन संभव है अथवा नहीं।

मीथेन की जरा सी मात्रा बढ़ने से होती है ग्लोबलवार्मिंग

नैनीताल। पृथ्वी के वायुमंडल में जहां 78 फीसद नाइट्रोजन व 21 फीसद ऑक्सीजन मौजूद है, वहीं मीथेन की मात्रा मात्र करीब 17 से 20 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) होती है। यह मात्रा थोड़ी भी बढ़ती है तो इसे धरती पर ग्लोबलवार्मिंग का बड़ा कारण माना जाता है। इसी कारण जहां धरती पर धान की खेती, वनस्पतियों के सड़ने व औद्योगिक उत्सर्जन जैसे कारणों से जरा भी बढ़ रही मीथेन गैस को नियंत्रित करने पर बड़े पैमाने पर प्रयास व चर्चाएं हो रही हैं, लेकिन आश्चर्य की ही बात है कि यही मीथेन पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए कितनी जरूरी भी है।

आगे मानव युक्त यानों के लिए राह खुलने की उम्मीद

नैनीताल। बुधवार को मंगल यान के मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने को लेकर एरीज के वैज्ञानिक खासे उत्साहित तथा उम्मीदमंद हैं कि इससे आगे भारत मंगल ग्रह पर पहला मानवयुक्त यान भी भेजने में भी सफल होगा। एरीज के कार्यकारी निदेशक डा. वहाब उद्दीन ने यह उम्मीद जताई। वहीं सूचना वैज्ञानिक सतीश कुमार ने कहा कि मंगल पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है, इसलिए भारत और विश्व की नजर वहंा एल्युमिनियम, सिलीकॉन आदि धातुओं की उपस्थिति पर भी लगी हुई हैं। वहीं रवींद्र कुमार यादव ने कहा कि आज के वैश्विक पूंजीवादी दौर में यह भारत के लिए विश्व को अपनी अंतरिक्ष में परिवहन सुविधा दिखाने के रूप में बड़ी छलांग दिखाने मौका भी है। खास बात यह भी है कि भारत का मंगल मिशन नासा के ऐसे मिशन के मुकाबले छह गुना तक सस्ता है, इस तरह दुनिया भारत की सेवाएं लेने को मजबूर होगी।