विश्व योग दिवस के साथ युग परिवर्तन की शुरुआत, विश्व गुरु बनने की राह पर भारत


प्रकृति योग
प्रकृति योग

Image result for योग दिवस के साथ युग परिवर्तनबात कुछ पुराने संदर्भों से शुरू करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 1836 में उनके गुरु आचार्य रामकृष्ण परमहंस के जन्म के साथ ही युग परिवर्तन गया है काल प्रारंभ हो। यह वह दौर था जब देश में 700 वर्षों की मुगलों की गुलामी के बाद अंग्रेजों के अधीन था, और पहले स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल भी नहीं बजा था।
बाद में महर्षि अरविन्द ने प्रतिपादित किया कि युग परिवर्तन का काल, संधि काल कहलाता है और यह करीब 175 वर्ष का होता है …

पुनः, स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘वह अपने दिव्य चक्षुओं से देख रहे हैं कि या तो संधि काल में भारत को मरना होगा, अन्यथा वह अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगा ….’
Yogaउन्होंने साफ किया था ‘भारत के मरने का अर्थ होगा, सम्पूर्ण दुनिया से आध्यात्मिकता का सर्वनाश! लेकिन यह ईश्वर को भी मंजूर नहीं होगा … ऐसे में एक ही संभावना बचती है कि देश अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगा …. और यह अवश्यम्भावी है। ‘
वह आगे बोले थे, ‘देश का पुराना गौरव विज्ञान, राज्य सत्ता अथवा धन बल से नहीं वरन आध्यात्मिक सत्ता के बल पर लौटेगा ….’
अब 1836 में युग परिवर्तन के संधि काल की अवधि 175 वर्ष को जोड़िए। उत्तर आता है 2011। अब थोड़ा पीछे मुड़कर 2011 को याद याद करें, जब देश में बाबा रामदेव योग को लेकर आगे बढ़ रहे थे, और अभी चार वर्षों के बाद ही हमारा योग विश्व का योग बनने जा रहा है। 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विश्व योग दिवस का प्रस्ताव रखने के केवल 75 दिनों के अब तक के संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी प्रस्ताव की स्वीकृति के रिकॉर्ड समय में 47 मुस्लिम देशों के साथ दुनिया के 177 देशों ने विश्व योग दिवस मनाने के सह प्रस्तावक बनकर इस प्रस्ताव को पारित करा दिया, और 21 जून को सूर्य के संक्रांति काल में उत्तरी गोलार्ध के वर्ष के सबसे बड़े दिन के अवसर पर भारत के योग का डंका दुनिया के 192 देशों में बज गया।
कोई आश्चर्य नहीं, ईश्वर स्वयं युग परिवर्तन की राह आसान कर रहे हों, और युगदृष्टा महर्षि अरविन्द और स्वामी विवेकानंद की बात सही साबित होने जा रही हो ….

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यह भी जान लें कि आचार्य श्री राम शर्मा सहित फ्रांस के विश्वप्रसिद्ध भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस सहित कई अन्य विद्वानों ने भी इस दौर में ही युग परिवर्तन होने की भविष्यवाणी की हुई है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा था “दुनिया में तीसरे महायुद्ध की स्थिति सन् 2012 से 2025 के मध्य उत्पन्न हो सकती है। तृतीय विश्वयुद्ध में भारत शांति स्थापक की भूमिका निबाहेगा। सभी देश उसकी सहायता की आतुरता से प्रतीक्षा करेंगे।” नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्वयुद्ध की जो भविष्यवाणी की है उसी के साथ उसने ऐसे समय में एक ऐसे महान राजनेता के जन्म की भविष्यवाणी भी की है, जो दुनिया का मुखिया होगा और विश्व में शांति लाएगा।

क्या वह राजनेता नरेंद्र मोदी हो सकता है, जो दुनिया का मुखिया बनकर विश्व में शांति लाएगा और देश का मान भी बढ़ाएगा !
अब बात योग की। जिसका नाम ही ‘योग’ हो, वह विश्व का योग यानी विश्व को आपस में जोड़ दे तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा। ऐसा होता भी नजर आ रहा है। दुनिया बिना किसी शुल्क दिए निरोगी बनने की भारत की राह पर आगे बढ़ रही है, और इस तरह दुनिया में ‘कल्याणकारी राज्य’ की परिकल्पना साकार होने की राह बनती नजर आ रही है। भारत की एक विधा बिना पश्चिम से लौटे न केवल देश वरन दुनिया की जीवन चर्या का अंग बनने जा रही है। अमेरिकी सांसदों और हिल के कर्मचारियों ने भारतीय दूतावास के सहयोग से कांग्रेसनल योगी एसोसिएशन बनाकर योग को अपने जीवन का अंग बना लिया है। 21 जून से अमेरिका के 100 से अधिक शहरों में योग पर ‘योगाथॉन’ नाम का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। यूरोपीय संघ के केंद्र ब्रसेल्स में योग पर सम्मेलन आयोजित हो चुका है । सिंगापुर में भी करीब 50 स्थानों पर योग के कार्यक्रम हो रहे हैं। भारत के धुर विरोधी चीन में भी 21 जून को वैश्विक योग सम्मेलन आयोजित हो रहा है। यह क्या युग परिवर्तन के संकेत नहीं हैं ?

सूर्य नमस्कार पर मिथ्या भ्रम

ramdevसूर्य नमस्कार-सूर्य को नमस्कार नहीं वरन सात आसनों-प्रणामासन, हस्तोथानासन, पदहस्तासन, अश्व संचालानासन, पर्वतासर, अष्टांगा नमस्कारासन व भुजंगासन का एक समुच्चय है। सूर्य नमस्कार के दौरान इन सात आसनों को पहले क्रमवार शुरू करते हुए बाद में वापसी के क्रम में लौटने का विधान है। इससे पूरे शरीर को अभ्यास मिलता है। योग गुरू बाबा रामदेव के अनुसार, सूर्य नमस्कार करने का अर्थ सूर्य के आगे झुकना नहीं, बल्कि उस आसन से अपने अंदर सूर्य जैसी शक्ति का प्रचार करना है। योग में सूर्य नमस्कार के जरिए शरीर के आठ अंगों से जमीन को छुआ जाता है।

ओम में अल्लाह भी और मुहम्मद भी

Yog4विश्व के सबसे बड़े मदरसे दारुल वलूम देवबंद ने योग को इस्लामी पद्धति के आधार पर यह कहते हुए मान्य घोषित किया है कि इसमें ओम के स्थान पर अल्लाह कह देना चाहिए या खामोश रहना चाहिए। मगर यदि हम ओम को उर्दू या अरबी वर्णमाला के आधार पर जांचें तो उनमें ओम बनता है-‘अलिफ’, ‘वाव ‘और ‘मीम’ से। ‘अलिफ’ अल्लाह का नाम है, ‘वाव’ (वा) का अर्थ होता है ‘और’ तथा ‘मीम’ से तात्पर्य है मुहम्मद ! इसका अर्थ यह हुआ कि ओम में भी इस्लाम धर्म के पैगंबर अल्लाह और मुहम्मद शामिल हैं।

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7 Comments

  1. बहुत ही लाभप्रद सटीक जानकारी जो कि न केवल वर्तमान व भावी कर्णधारों को पुर्नविचार व नई विचारधारा बनाये जाने हेतू आधारशिला साबित होगी धन्यवाद – पथिक अनजाना

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