-जनपद के ऐसे 10 गांव बनेंगे पर्यटन गांव, मिलेगा पर्यटन योजनाओं का लाभ -सैलानी जान सकेंगे कहां है नैनीताल में देवगुरु बृहस्पति मंदिर, कहां हो सकती हैं एेंगलिंग और किस गांव में हुई थी फिल्म मधुमति की शूटिंग
नवीन जोशी, नैनीताल। सैलानी क्या, नैनीताल जनपद वासी भी कम ही जानते होंगे कि नैनीताल जनपद में कहीं देश के गिने-चुने देवगुरु बृहस्पति के मंदिरों में से एक स्थित है। यह भी कम ही लोग जानते होंगे कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य से बॉलीवुड फिल्म उद्योग को सर्वप्रथम मुख्यालय नैनीताल से भी पहले एक गांव ने रिझाया था। जनपद में मछलियों को पकड़ने के खेल-एंगलिंग की भी अपार संभावनाएं हैं। लेकिन आगे ऐसा ना होगा। विकास की दौड़ में पीछे छूट गए गांवों के देश भारत के इन गांवों में अब पर्यटन की राह खुलने जा रही है, जिसके बाद इन गांवों में सैलानियों के पहुंचने के लिए ढांचागत सुविधाओं का विस्तार होगा, तथा सैलानी और स्थानीय लोग न केवल इन गांवों के बारे में जान पाएंगे, वरन यहां आकर इनकी विशिष्टताओं से रूबरू भी हो पाएंगे।
प्रदेश सरकार ने प्रदेश के गांवों को पर्यटन से जोड़ने के लिए उत्तराखण्ड ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना बनाई है, जिसके लिए हर वर्ष पर्यटन की संभावनाओं युक्त गांवों में मूलभूत एवं ढांचागत सुविधाओं का विस्तार किया जाना है, ताकि सैलानी इन गांवों तक पहुंच पाएं। जिला प्रशासन ने योजना के अन्तर्गत मौजूदा वित्तीय वर्ष 2014-15 के प्रथम चरण के लिए 10 एकल ग्राम तथा ग्राम समूहों का चयन किया है, जिसमें ओखलकांडा ब्लॉक में शहर फाटक के पास तुशराड, देवली गावों के पास स्थित देवगुरु बृहस्पति मंदिर, देश के गिने-चुने देवगुरु बृहस्पति मंदिर के रूप में ख्याति अर्जित कर सकता है। इसी तरह मुख्यालय का निकटवर्ती भूमियाधार गांव है, जहां गेठिया के पास 1958 में जनपद में पहली बार दिलीप कुमार व वैजयंती माला अभिनीत फिल्म मधुमती की शूटिंग हुई थी, साथ ही आगे उत्तराखंड की राजनीति तथा सामाजिक ताने-बाने पर आधारित राज किरण व स्वप्ना अभिनीत बॉलीवुड फिल्म बंधन बांहों का भी फिल्माई गई थी। इसी तरह रामनगर के पास कोसी नदी पर एंगलिंग की संभावनाओं युक्त अमेल नाम का गांव, मुख्यालय के निकट नलनी व पंगोठ, कालाढुंगी के पास जिम कार्बेट का शीतकालीन प्रवास स्थल-छोटी हल्द्वानी, जिलिंग स्टेट, अमगढ़ी, मोतियापाथर तथा दो अनछुवी प्राकृतिक झीलों के स्थान हरीशताल को भी पर्यटन गांव बनाने की योजना है। डीएम दीपक रावत ने बताया कि इन गांवों को पहले चरण में शामिल करने का शासन के लिए अनुमोदन किया गया है। उम्मीद है कि जल्द योजना शुरू हो जाएगी।
नैनीताल जनपद के पर्यटन विकास हेतु चिन्हित गांव और उनकी विशिष्टताएं
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देवगुरू, ओखलकांडा ब्लॉक में काठगोदाम से लगभग 90 किमी की दूरी पर स्थित देवगुरू नाम का गांव देश में गिने-चुने देवगुरू बृहस्पति के मंदिर के लिए जाना जाता है । यहाँ से दूर-दूर तक नयनाभिराम हिम श्रंखलाएँ दृष्टिगोचर होती हैं।
- नलनी, भीमताल ब्लॉक में काठगोदाम से वाया खुर्पाताल बाईपास से आते लगभग 45 किमी की दूरी पर कालाढुंगी-नैनीताल रोड के निकट स्थित यह गांव पारम्परिक ग्राम्य सौदर्य के लिए जाना जाता है।
- पंगोट, बेतालघाट ब्लॉक में जिला मुख्यालय से करीब 10 एवं निकटतम रेलहेड काठगोदाम से लगभग 55 किमी की दूरी पर स्थित पंगोट ग्राम हिम दर्शन तथा सघन वनों के सौंदर्य के लिए ख्याति प्राप्त है।
- जिलिंग इस्टेट, धारी ब्लॉक में काठगोदाम से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित यह स्थान प्राकृतिक सौदर्य एवं हिमालय के दर्शन के लिए चर्चित है।
- अमगढ़ी, कोटाबाग ब्लॉक में निकटतम रेलवे स्टेशन रामनगर से लगभग 35 किमी की दूरी पर स्थित यह गांव सघन वन और वन्य जन्तुओं के लिए पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- अमेल, बेतालघाट ब्लॉक का यह गांव नदीघाटी सौदर्य से परिपूर्ण है, और निकटतम रेल हेड रामनगर से लगभग 60 किमी की दूरी पर कोसी नदी के किनारे स्थित है। यहां मछलियों को शौकिया पकड़ने के खेल- एंगलिंग की अच्छी सम्भावनाएं हैं।
- मोतियापाथर, धारी ब्लॉक का यह स्थान हिमालय की हिमाच्छादित पर्वत श्रंखलाओं के दर्शन तथा फलों के बागानों के लिए जाना जाता है। काठगोदाम से इस गांव की दूरी लगभग 80 किमी है।
- छोटी हल्द्वानी, कोटाबाग ब्लॉक का यह स्थान प्रसिद्ध शिकारी एवं प्रकृतिविद् जिम कार्बेट की शीतकालीन विश्रामस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। कालाढूंगी के निकट स्थित इस स्थान की निकटतम रेल हेड काठगोदाम से दूरी मात्र 30 किमी है।
- हरीशताल, ओखलकांडा ब्लॉक का यह स्थान लेक डिस्ट्रिक्ट नैनीताल की दो अनछुवी प्राकृतिक झीलों-हरीश ताल व लोहाखामताल के लिए प्रसिद्ध है, साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य से भी परिपूर्ण है। निकटतम रेल हेड काठगोदाम से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित है।
- भूमियाधार, अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भीमताल ब्लॉक का यह गांव काठगोदाम से लगभग 35 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गांव के प्राकृतिक सौदर्य से परिपूर्ण वातावरण में ‘मधुमती’ और ‘बंधन बांहों का” फिल्म की भी शूटिंग हुई थी।
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